भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी खजाने पर आर्थिक संकट लगातार बरकरार है। अब वित्त विभाग के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। वित्त विभाग राजस्व सरप्लस बजट के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार की आय, व्यय से अधिक होनी चाहिए। इसके लिए विभाग राज्य से प्राप्त होने वाले टैक्स और केंद्र से मिलने वाले अनुदान के बाद ही टारगेट पूरा कर सकेगा। जिसके बाद अगले वित्तीय वर्ष के बजट प्रावधान तय किए जा सकें। फलिहाल राज्य सरकार पर करीब 50 हजार करोड़ के नुकसान का संकट आ सकता है। केंद्र दो प्रावधानों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाले 50 हजार करोड़ पर रोक लग जाएगी।

पिछले साल अनुमानित राजस्व सरप्लस बजट 262 करोड़ रुपए का पेश किया गया था। इस वर्ष राजस्व आय के लक्ष्य की बैठक अनुमानित राशि को वास्तविक प्राप्तियों में परिवर्तित करने में मदद करेगी। सरकार को केंद्र से करीब 90 हजार करोड़ की राशि मिलने का अमुनाम है जिसमें से उसे करीब 80 हजार करोड़ प्राप्त हो चुके हैं। राज्य सरकार को टैक्स से करीब 54,655 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। वहीं, 10,933 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली सरकार अन्य टैक्स से करेगी। यह भी अनुमान है कि जीएसटी से 21,000 करोड़ रुपये, वैट से 12,000 करोड़ रुपये, उत्पाद शुल्क से 9,000 करोड़ रुपये और पंजीकरण से 6000 करोड़ रुपये अर्जित किए जाएंगे।

वाणिज्यिक कर विभाग, प्रमुख सचिव, मनु श्रीवास्तव ने बताया कि पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने से राजस्व में भारी मुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि हम विभाग द्वारा तय किय गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अगर राजस्व सरप्लस बजट पेश नहीं हो पाता है तो हम बजट का 3 फीसदी लोग ले सकते हैं। एफआबीएम एक्ट के तहत इसका प्रावधान है। एक्ट के तहत राज्य की लोग लिमिट 3.5% है।

केंद्र फिलहाल बजट के दो प्रावधानों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। पहले है FRBM एक्ट में लोन की लिमिट तीन फीसदी से ढाई फीसदी करना और दूसरा है केंद्रीय करों से राज्य के हिस्से को 42% से घटाकर 35% करना। अगर ये दोनों प्रावधान लागू हो जाते हैं तो राज्य को तीन वित्तीय वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

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