भोपाल। प्रदेश के शॉपिंग मॉल्स में निजी सुरक्षा कर्मियों द्वारा आगन्तुकों के बेग की चेकिंग तभी हो जब मेटल डिटेक्टर पर ‘बीप ’ सुनाई दे। सुरक्षाकर्मी हाथ से नहीं स्केनिंग उपकरणों से जाँच करें। व्यक्तिगत तलाशी अत्यावश्यक होने पर पुलिस को सूचित करें। बिना फोटो पहचान-पत्र के गार्ड ड्यूटी न करें। आयोग ने निजी सुरक्षा एजेन्सियों को इस संबंध में सामान्य परिपत्र जारी किया है। यह जानकारी आज यहाँ श्रीमती उपमा राय की अध्यक्षता में राज्य महिला आयोग की नीतिगत बैठक में दी गई।
बैठक में आयोग की सदस्य सुश्री ज्योति येवतीकर, श्रीमती शशि सिन्हो, श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय, श्रीमती वन्दना मण्डावी, सुश्री कविता पाटीदार और सदस्य सचिव श्रीमती रमा चौहान उपस्थित थी। इसके अलावा आयुक्त लोक शिक्षण श्री अरूण कोचर, आयुक्त गृह श्री डी.पी.गुप्ता, आयुक्त स्वास्थ्य श्रीमती सूरज डामोर, आयुक्त विधि श्री जे.एम. चतुर्वेदी, पुलिस महानिरीक्षक सुश्री सुषमा सिंह, अपर सचिव महिला-बाल विकास श्रीमती रजनी उइके सहित विभिन्न विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग श्रीमती उपमा राय ने कहा कि आयोग अनुशंसा करता है कि निजी स्कूल शिक्षिकाओं को भी शासकीय स्कूलों की भाँति वेतन,भत्ते, स्वास्थ्य सुविधाएँ, ग्रेच्युटी, प्राविडेन्ट फंड आदि की सुविधाएँ दी जाये। प्रदेश के निजी स्कूल एडमिशन फॉर्म के लिए भी अलग से राशि वसूलते हैं जो 50 रुपये तक होनी चाहिए। अपराधों पर प्राथमिक स्तर पर ही रोक लगाने के लिए बच्चों को स्कूल ले जाने वाली वेन-बस आदि के ड्रायवरों को वाहनों में फिल्मी गाने बजाने, बच्चों को गोद में बिठाने और कुछ भी खिलाने के प्रतिबंधित किया जाए। सदस्य सुश्री कविता पाटीदार ने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा महिला आरक्षकों की भर्ती के लिए पुरुषों के समान नियुक्ति मापदण्ड स्थापित किए गए हैं, जो ठीक नहीं है। महिला-पुरुष नियुक्ति के लिए शारीरिक मापदण्ड अलग-अलग निर्धारित हों। इसी तरह राज्य सेवा परीक्षा सहित दूसरे कुछ विभागों की परीक्षा में महिला से कम अंक प्राप्त करने वाले पुरुष को नियुक्ति दी गई जो नहीं होना चाहिए।
नीतिगत बैठक में राज्य की सीमा पर बसे गाँवों के लोगों को पड़ोसी राज्य के निकटतम अस्पताल में इलाज सुविधा, पातालकोट में बच्चों की शिक्षा सुविधा और पुख्ता करने, जेलों में महिला आरक्षकों की संख्या बढ़ाने, सतना जेल कैदी स्व. बच्चू कोल की पत्नी को यथाशीघ्र मुआवजा देने, कन्या भ्रूण हत्या के लिए गठित समिति द्वारा अधिक कारगर ढंग से कार्रवाई करने, सभी पुलिस थानों में सेफ किट उपलब्ध करवाने, महिलाओं के उत्थान के लिए पुनर्वास समिति गठन आदि मुद्दों पर विचार-विमर्श कर अनेक अनुशंसाएँ शासन को भेजने का निर्णय लिया गया।