इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेश मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मुकदमे में तगड़ा झटका लगा है. सरकार की ओर से मुकदमे की पैरवी कर रहे मुख्य अभियोजक ने देश में सत्ता परिवर्तन के मद्देनजर पद से इस्तीफा दे दिया है. नवाज शरीफ सरकार ने 2013 में सत्ता में आने के साथ ही मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे देशद्रोह के मामले में मोहम्मद अकरम शेख को मुख्य अभियोजक नियुक्त किया था.
गौरतलब है कि तीन नवंबर, 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल घोषित करने के संबंध में मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला चल रहा है. डॉन की खबर के अनुसार, गृह सचिव को भेजे गये इस्तीफे में शेख ने कहा है कि वह केन्द्र में होने वाले सत्ता परिवर्तन के मद्देनजर मामले की पैरवी जारी नहीं रख पायेंगे.
74 वर्षीय मुशर्रफ की लीगल टीम ने शुरूआत में शेख की नियुक्ति को चुनौती दी थी, लेकिन देशद्रोह मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने चुनौती को खारिज कर दिया.विशेष अदालत ने देशद्रोह के मामले में मार्च 2014 में मुशर्रफ के खिलाफ आरोप तय किये. अभियोजन पक्ष ने इस संबंध में अपने साक्ष्य सितंबर, 2014 में पेश किये.
हालांकि, विशेष अदालत उसके बाद मुकदमा नहीं चला सकी, क्योंकि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने इसपर स्थगन लगा दिया. बाद में शीर्ष अदालतों द्वारा एग्जिट कंट्रोल लिस्ट से नाम हटाये जाने के बाद मुशर्रफ देश छोड़कर बाहर चले गये. विशेष अदालत ने मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित कर उनकी संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है हालांकि अदालतों में लंबित याचिकाओं के कारण कुर्की जब्ती की कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
आम चुनावों के बाद देश में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेतृत्व में सरकार बनने के आसार के बीच शेख का कहना है, यदि इमरान खान की पार्टी इस मुकदमे को जारी रखना चाहती है तो वह अपने पसंद के वकील का चुनाव कर सकती है. अखबार के मुताबिक, शेख ने कहा, अगर पीटीआई मुकदमा जारी रखना चाहती है तो वह दूसरा वकील नियुक्त कर सकती है. हालांकि, उन्होंने इन आशंकाओं का खारिज किया कि कोई भी सरकार मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे मुकदमे को वापस लेना चाहेगी.