ग्वालियर। मुरैना में माफिया की शराब के कारण अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान के माफिया विरोधी अभियान के बावजूद मुरैना में माफिया का कारोबार खुलेआम चल रहा था। मामला देश भर की सुर्खियों में आने के बाद समाचार लिखे जाने तक सरकार ने पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है।
मामला जैसे ही चर्चाओं में आया एसडीओपी सुजीत भदौरिया ने उसका रुख मोड़ने की कोशिश की। 8 लोगों की मौत हो जाने के बाद उन्होंने कहा कि इन्वेस्टिगेशन के बाद पता चलेगा कि लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई है या फिर अधिक मात्रा में शराब पीने से। जब मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता गया और 10 लोगों की मौत हो गई तब गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने थाना प्रभारी को सस्पेंड किया। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर वाणिज्य कर विभाग के उपसचिव रत्नाकर झा ने जिला आबकारी अधिकारी जावेद अहमद को निलंबित कर दिया गया। मंगलवार की देर शाम पुलिस अधीक्षक मुरैना ने अविनाश सिंह राठौर, उप-निरीक्षक (थाना बागचीनी), राजेश गर्ग उप-निरीक्षक (ग्राम छैरा मानपुर) रामवरन सिंह, प्रधान आरक्षक (थाना बागचीनी) को निलंबित कर रक्षित केन्द्र मुरैना अटैच किया गया।
इतना बड़ा कांड हो जाने के बाद मुरैना और ग्वालियर में लोग खुलेआम कह रहे हैं कि अवैध शराब का कारोबार इस इलाके में पुलिस और आबकारी विभाग के सिस्टम में शामिल है। माफिया द्वारा दोनों विभागों के अधिकारियों को नियमित रूप से एक निश्चित राशि पहुंचाई जाती है। यह रकम पूरे थाने में बांटी जाती है। कहा तो यह भी जाता है कि अवैध शराब का पैसा एसडीओपी, एडिशनल एसपी और एसपी को भी हर महीने दिया जाता है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों माफिया के खिलाफ अभियान का जिक्र करते हुए फिल्मी डायलॉग मार रहे हैं। ठोक दूंगा, मिटा दूंगा, गिरा दूंगा जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। कमलनाथ है आज उनका मजाक उड़ाते हुए इस तरह के बयानों को उनकी नौटंकी बताया है। उल्लेखनीय यह है कि जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों पर तो कार्रवाई हो गई परंतु शराब माफिया अभी तक किसी भी प्रकार की कड़ी कार्रवाई से बचा हुआ है।