मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने प्रदेश में एस्मा लागू किया
भोपाल। कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार हर कोशिश कर रही है। बुधवार दोपहर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने दो चैकाने वाले फैसले लिए। पहला- पूरे प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है। सरकार ने प्रदेश में एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) तत्काल प्रभाव से लागू किया है। मुख्यमंत्री ने ये निर्णय केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश के बाद लिया है। दूसरे फैसले में सरकार ने भोपाल सीएमएचओ डॉ. सुधीर डेहरिया को हटा दिया है। उनकी जगह सीहोर के सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी को जिम्मेदारी सौंपी है। डॉ. डेहरिया को सीहोर भेजा गया है। करीब आठ दिन पहले भी डेहरिया का ट्रांसफर किया गया था। लेकिन, उसी दिन देर रात आदेश स्थगित कर दिया गया था।
बुधवार को गृह मंत्रालय ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन के बीच आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एस्मा लागू करने को कहा था। केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को लिखे गए पत्र में कहा है कि आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए। इन उपायों के तहत स्टॉक सीमा तय करने, मूल्यों का निर्धारण, उत्पादन बढ़ाना और डीलरों, अन्य के खातों की जांच आदि शामिल है।
भल्ला ने कहा कि श्रमिकों की कमी के चलते विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में कमी की रिपोर्ट आ रही हैं। ऐसी स्थिति में जमाखोरी, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी की आशंका है जिससे वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। राज्यों से कहा गया है कि वे उचित दर की दुकानों पर वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाएं। इससे पहले मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी आदेश में खाद्य पदार्थों, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण और उत्पादन की अनुमति दी थी। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी राज्यों को इन वस्तुओं के ऑर्डर देने से संबंधित प्रावधानों में 30 जून तक रियायत दी है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने पर सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिये लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम 6 महीने के लिये लगाया जा सकता है। इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
सरकार एस्मा लगाने का फैसला इसलिए करती हैं क्योंकि हडताल की वजह से लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पडने की आशंका होती है। जबकि आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून यानी एस्मा वह कानून है, जो अनिवार्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये लागू किया जाता है। जिस सेवा पर एस्मा लगाया जाता है, उससे संबंधित कर्मचारी हडताल नहीं कर सकते। अन्यथा हडतालियों को छह माह तक की कैद या ढाई सौ रुपए जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन को कुचल सकती है, विशेषकर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध और अपराध माना जाता है।