भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना आखिरी दांव चल दिया है। सभी कैबिनेट मंत्रियों से इस्तीफा लेने के बाद अब उन सभी विधायकों से संपर्क किया जा रहा है जो मंत्री पद के दावेदार थे। सरकार बचाने की शर्त पर सभी को मंत्री बनाने का वादा किया जा रहा है।
अब एंदल सिंह कंसाना, केपी सिंह कक्काजू, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, लक्ष्मण सिंह, कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा, निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा व केदार डाबर समेत कुछ विधायकों के सामने यह मौका होगा कि वे मंत्रिमंडल में जगह बना सकेंगे। वैसे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे में दिए गए सभी मंत्री पद अमृत हो गए हैं।
ऑपरेशन लोटस के समय मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डीजीपी वीके सिंह को इसलिए हटा दिया था क्योंकि उनकी इंटेलिजेंस फेल हो गई थी। विधायकों की लोकेशन पता नहीं थी। एक बार फिर कमलनाथ सरकार की इंटेलिजेंस फेल हो गई। सिंधिया समर्थक विधायक रात में ही लामबंद हो गए थे और सुबह तक मुख्यमंत्री कमलनाथ को किसी ने सूचना नहीं दी। कमलनाथ ने सुबह 9.30 बजे पार्टी विधायकों को फोन लगाना शुरू किया। जैसे ही सिंधिया समर्थक विधायकों की बारी आई। एक के बाद एक फोन बंद मिले। उन्होंने जानकारी जुटाना शुरू की तो पता लगा कि दिल्ली से एक प्लेन बेंगलुरू जा रहा है, जिसमें सिंधिया समर्थक कुछ विधायक जा सकते हैं। और जानकारी निकलवाई तो मालूम हुआ कि विधायक सुबह 9 बजे ही जा चुके हैं।
विधायकों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ आने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तत्काल ज्योतिरादित्य सिंधिया को फोन लगाया लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ से बात नहीं की। कमलनाथ ने उन सभी माध्यमों का उपयोग किया जिनके जरिए वह ज्योतिरादित्य सिंधिया से डायरेक्ट कनेक्ट हो जाते हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ को रिप्लाई नहीं किया। यह घटनाक्रम उनके लिए अनपेक्षित था। कमलनाथ को संकट का एहसास हो गया और वह तत्काल दिल्ली के लिए रवाना हुए।