नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी की अग्रिम जमानत याचिका पर बहस करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई मामलों से पर्दा हटा दिया। ईडी ने दावा किया है कि रतुल पुरी ने क्रिश्चियन मिशेल से 6 करोड़ रुपए लिए। रतुल पुरी ने सरकारी गवाह को गायब कर दिया। ईडी ने कोर्ट में कहा कि इन लोगों को मनी लांडरर्स (धन शोधन) से निपटने की आदत है। रतुल पुरी को जेल के अंदर रहना चाहिए।
ईडी ने पुरी की अग्रिम जमानत याचिका का जमकर विरोध किया। ईडी के विशेष अधिवक्ता देविंदर पाल सिंह ने कहा, इन लोगों को मनी लांडरर्स (धन शोधन) से निपटने की आदत है। रतुल पुरी को जेल के अंदर रहना चाहिए। गंभीर आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि मुख्य गवाह जिसे पुरी के खिलाफ मई में आयकर विभाग के छापों के बाद अपदस्थ किया गया था, वह लापता है।
73 साल के गवाह को या तो कहीं भेज दिया गया है या उसे जान से मार देने का डर है। यह बातें ईडी ने स्थानीय अदालत को बताई। अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि गवाह को डर है। पुरी के पूर्व बयानों से उसे पीछे हटने के लिए कहा गया था। सिंह के अनुसार डर इतना बडा है कि लापता गवाह के परिवारवाले पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से बच रहे हैं।
ईडी को सरकारी गवाह राजीव सक्सेना और पुरी के बीच बातचीत के हजारों ईमेल मिले हैं। जिसमें पुरी, सक्सेना को अपराध की कार्रवाई आगे बढाने का निर्देश दे रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन्ही निदेर्शों को पुरी ने एक फर्जी ईमेल आईडी के जरिए सक्सेना को दोबारा पास किया। ईडी ने आरोप लगाया कि पुरी ने इन सभी ईमेल्स को डिलीट कर दिया था जिसे एजेंसी ने रिकवर कर लिया।
अदालत को बताया गया कि सक्सेना ने अपने क्रेडिट कार्ड के जरिए पुरी को 30 करोड रुपये दिए। इस बात को पुरी ने पूछताछ के जरिए स्वीकार किया है। अधिवक्ता ने अदालत को धन शोधन की प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि मिशेल ने सक्सेना की कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजी के जरिए पुरी की पांच कंपनियों को पैसा दिया था। ईडी ने पुरी द्वारा लगाए गए राजनीतिक प्रतिशोध के दावों को खारिज करते हुए कहा, पुरी एक ऐसा व्यक्ति है जो मनी लांड्रिंग और कई अन्य गैर-कानूनी कार्यों में शामिल है।