भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार मांग कर रहे थे कि यदि विधायक बेंगलुरु में बंधक नहीं है तो मीडिया के सामने क्यों नहीं आते। आज विधायकों ने मीडिया के सामने आकर उनके सवालों के जवाब दिए। स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा स्वीकार होना चाहिए। सभी विधायकों ने एक स्वर में कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके नेता है और यहां मौजूद सभी विधायक सिंधिया जी के साथ हैं।
कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा मध्यप्रदेश में
विधानसभा चुनाव के समय जनता के सामने मुख्यमंत्री पद के लिए दो चेहरे थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ। जनता ने सिंधिया के चेहरे पर वोट किया
लेकिन पार्टी ने कमलनाथ का मुख्यमंत्री बना दिया। हम यहां अपनी मर्जी से आए
हैं। किसी ने बंधक नहीं बनाया।
कांग्रेस विधायक इमरती देवी का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया हमारे
नेता हैं। उन्होंने हमें राजनीति करना सिखाया है। मैं जो भी आज हूं सिंधिया
जी की वजह से हूं। अगर सिंधिया जी कहेंगे की कुंए में कूद जाओ तो में
कूदने को तैयार हूं।
गोविंद राजपूत ने कहा कि कमलनाथ जी का व्यवहार कैसा है। मैं मंत्री रहा
हूं। हमने देखा है। कमलनाथ जी ने कभी भी हमें 15 मिनट भी शांतिपूर्वक नहीं
सुना। हम लोग बंधक नहीं स्वेच्छा से आए हैं। ये पूरा प्रदेश जानता है कि
मध्य प्रदेश की सरकार बनने में सिंधिया जी की अहम भूमिका थी। सिंधिया जी को
मुख्यमंत्री न बनाकर कमलनाथ को बनाया हमें लगा था कि सब ठीक ठाक रहेगा।
बिसाहूलाल सिंह ने कहा, ‘‘राहुल गांधी से बड़ा कोई नेता कांग्रेस में नहीं
था। मैंने मुख्यमंत्री पद को लेकर उनसे बात की थी। सिंधिया को मुख्यमंत्री
बनाने के लिए कहा था। आज सबसे बड़ा माफिया प्रदेश को चला रहा है। कमलनाथ के
व्यवहार से दुखी हूं। आदिवासियों के हित में कोई काम नहीं हुआ।’’
राजवर्धन सिंह ने कहा, ‘‘मैं अपने क्षेत्र की जनता के दम पर विधायक हूं।
कमलनाथ ने मुझसे कहा था कि सब पर भरोसा किया है तो मुझ पर भी करके देखो। 6
महीने में इलाके सूरत बदल जाएगी। लेकिन कुछ नहीं हुआ।’’
हरदीप सिंह डंग ने कहा, ‘‘मंदसौर कांड के वक्त में आगे आया था। राहुल गांधी
जब वहां गए तो उन्होंने मुझे पहचाना तक नहीं। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ
समेत अन्य कांग्रेस नेता घमंड में आ गए थे। कार्यकर्ताओं की बात तो छोड़ो
अधिकारी मंत्रियों की बात तक नहीं सुन रहे। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ कह रहे
हैं कि विधायकों को पैसा मिला है। अगर ऐसा है तो आपकी सरकार है, छापे मारो
और पता कर लो।’’
मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के कारण पार्टी छोड़ी है। कोई एक काम मंजूर नहीं
किया गया। रक्षा सरोनिया ने कहा- मैं बहुत ज्यादा परेशान हो गई थी, मेरी
बात तक नहीं सुनी गई। हमने जनता के लिए फैसला लिया है।
एक विधायक ने कहा, ‘‘जब सिंधिया पर हमला हो रहा है तो हम कैसे सुरक्षित
हैं। हमारी जान को खतरा है। हमने सीआरपीएफ की सुरक्षा की मांग की है। इसके
मिलने पर ही भोपाल लौटेंगे।’’
दूसरे विधायक ने कहा- ‘‘मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट कराएं। हम भोपाल जाएंगे।
हम उपचुनाव के लिए भी तैयार हैं। सरकार कोरोनावायरस का डर दिखाकर फ्लोर
टेस्ट से भाग रही है। अगर संक्रमण फैलने की इतनी ही चिंता है तो फिर वल्लभ
भवन (सचिवालय) में छुट्टी क्यों नहीं की जा रही?’’
तीसरे विधायक ने कहा- ‘‘हम सभी अपनी मर्जी से एक जगह जुटे हैं। राहुल गांधी तक ने हमारी बात नहीं सुनी। फिलहाल, भाजपा में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।’’