ग्वालियर। खेती को लाभकारी धंधा बनाने के लिए शासन स्तर से न केवल विभिन्न योजाएं संचालित की जा रही है बल्कि किसान कल्याण के लिए इन दिनों कृषि महोत्सव भी मनाया जा रहा है। इसके बाद भी उत्पादन बढाने में महत्वपूर्ण मिट्टी परीक्षण को लेकर विभाग गंभीर नहीं है। जिला मृख्यालय पर मिट्टी परीक्षण की एकमात्र प्रयोगशाला में अब तक मिट्टी के मात्र 77 नमूनों की जांच हुई है जबकि इसके लिए शासन से 15 हजार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कृषि विभाग में भारी भरकम अमला होने के बाद भी न तो किसानों को उन्नत कृषि संबंधी जानकारी मिल पा रही है और न ही मिट्टी परीक्षण लक्ष्य की पूर्ति हो पा रही है। पिछले साल भी मिट्टी परीक्षण लक्ष्य पूर्ति का आंकडा आधे से भी कम पर अटक के रह गया था।
प्रयोगशाला में प्रतिदिन मिट्टी के 100 नमूनों की जांच की जा सकती है लेकिन जब नमूने ही नहीं पहुचेंगे तब कैसे संभव है। इन दिनों कृषि विभाग का समूचा अमला कृषि महोत्सव में व्यस्त है। इस दौरान भी मिट्टी परीक्षण के नमूने एकत्रित किए जाने हैं लेकिन यह प्रयोगशाला तक नहीं पहुचाए जा रहे है। महोत्सव में अभी 6 दिन शेष हैइसके बाद अगर एक साथ हजारों नमूने एक साथ आ भी गए तो इनके परीक्षण और रिपोर्ट दिए जाने की प्रक्रिया में महीनों लग जायेंगे तब तक किसान बोनी कर चुके होंगे। अगर किसानों को समय सीमा में रिपोर्ट नहीं मिली तो वे परम्परागत तरीके से ही खेतों को रासयनिक और जैविक खाद डालकर उपचारित करेंगे। तब कृषि विभाग के भारी भरकम अमले और आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशाला का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
कृषि के लिए मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट अति महत्वपूर्ण होती है क्योंकि परीक्षण में नाइट्रोजन, पोटाश, फारफोरस, जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट, मैंगजीन सल्फेट, कॉपर सल्फेट आदि तत्वों की स्थिति का पता लग जाता है। इसके प्श्चात आवश्यकता अनुसार रासायनिक खाद व जैविक खाद, कल्वर आदि का प्रयोग कर भूमि को उपचारित कर अपेक्षाकृत उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
कृषि उप संचालक दिलीप सिंह कुशवाह ने बताया कि चंबल संभाग के भिण्ड जिले के किसानों में जागरुकता की कमी है इसलिए कृषि का्रति रथ गांव-गांव पहुचाया गया है। प्रत्येक गांव से 10-10 मिट्टी के नमूने लिए जा रहे है। जिसकी जांच कराई जाएगी।