ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के न्यू कृष्णा कॉलोनी क्षेत्र में ताराबाई उर्फ रेनू चैहान के अंधे कत्ल की गुत्थी फोरेंसिक जांच व डॉग जॉन्टी की मदद से पुलिस ने 24 घंटे में सुलझा ली है। क्योंकि जॉन्टी ने पहले दिन ही हत्या का इशारा मृतका के बेटे की तरफ किया था। पुलिस ने जितेंद्र को हिरासत में लेकर मामले की जांच शुरू की। फोरेंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव का मत था कि कोई बाहर का व्यक्ति अंदर नहीं आया है।

हत्या के बाद कोई घर से बाहर गया है। क्योंकि मृतक का खून घर के ही अंदर तक ही फैला मिला है। ठोस साक्ष्य मिलने के बाद जितेंद्र को थाने बुलाकर पूछताछ की तो उसने अपराध कबूल कर लिया। उसने पुलिस को बताया कि बुधवार देर रात्रि को वह किचन में अपने लिए चाय बना रहा था। उसी समय मां चिल्लाकर बोली- काम-धंधा कुछ करता नहीं। कभी दो पैसे कमाकर हाथ पर रखे नहीं और साहब को रात में चाय चाहिए। यह बात इतनी चुभ गई कि मां की हत्या कर दी।

आरोपी जितेंद्र भी स्मैक का नशा करता है। उसने कबूल किया कि मां अक्सर उसे काम-धंधा न करने का उलाहना देती थी। चाय बनाते समय मां के टोकने पर उसने निश्चय कर लिया था कि मां को आज मार देगा। पत्नी के सोने के बाद वह मां के कमरे में गया। उसने सोती मां के माथे की कनपटी पर हथौडे से प्रहार किया। उसके बाद फनर से उसका गला रेता और गर्दन पर पेचकस से भी कई वार किए। इसके बाद बाथरूम में जाकर कपडे साफ किए और बाद में पत्नी के पास जाकर सो गया। पुलिस ने तीनों हथियार भी बरामद कर लिए हैं। आरोपी की पत्नी प्रियांशी सुबह सोकर उठी तो सास मृत मिली थी। वो भी यही समझ रही थी कि कोई बाहर से व्यक्ति अंदर और हत्या करके चला गया।

एएसपी पंकज पांडे ने बताया कि ताराबाई उर्फ रेनू पत्नी शैलेंद्र सिंह चैहान की घर में संदिग्ध परिस्थतियों हुई हत्या की जांच के दौरान मृतक के बेटे जितेंद्र के खिलाफ मां की हत्या करने के साक्ष्य मिल गए थे। लेकिन हत्या जैसे प्रकरण में घरवालों को संदेह में लेकर पूछताछ करना आसान नहीं होता। यह परिवार भी आपराधिक प्रवृत्ति का है। मृतका का पति शैलेंद्र स्मैक तस्करी के आरोप में जेल में है। ताराबाई भी स्मैक बेचते दो बार पकडी जा चुकी थी। ठोस साक्ष्य जुटाकर जितेंद्र से पूछताछ की तो उसने मां की हत्या करना कबूल कर लिया।

परिजन ने बताया कि शरीर जला होने के कारण रेनू कम कपडे पहनकर सोती थी। पुलिस के सामने सवाल था कि अगर घर के बाहर का कोई आता तो मृतका पूरे कपडे पहनकर दरवाजा खोलती।

जागते व्यक्ति को मारना आसान नहीं होता है। कमरे के ऊपर बहू-बेटे सो रहे थे। किसी ने चीखने तक की आवाज नहीं सुनी। मुख्य दरवाजा भी अंदर से बंद था। जबकि बेटे ने कुछ लोगों से मां के संबंध बताकर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया।

जांच के दौरान कमरे से दरवाजे तक खून मिला। लेकिन घर के बाहर एक खून की एक बूंद नहीं मिली। अगर हत्यारा बारदात को अंजाम देकर घर के बाहर जाता तो घर के बाहर भी खून होता। क्योंकि हत्या करने के बाद हत्यारा घर के बाथरूम में साक्ष्य मिटाए, यह आसान नहीं होता। इससे साफ हो गया कि न तो हत्या करने के लिए कोई बाहर से आया और नहीं बाहर गया।

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