ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की फर्जी अंकसूची तैयार करना अब किसी के वश में नहीं रहेगा। यहां की अंकसूचियां अब नोटों (रुपए) जैसे सुरक्षा मानकों के साथ बनेंगी। असल अंकसूची की कलर्ड फोटो कॉपी संभव नहीं होगी। आठ सुरक्षा मानकों में से दो गुप्त मानक ऐसे रहेंगे, जिनकी जानकारी केवल और केवल कुलपति व परीक्षा नियंत्रक के पास ही रहेगी। ऐसे में किसी भी अंकसूची पर शंका होने की स्थिति में ये दोनों तुरंत जान सकेंगे कि अंकसूची विश्वविद्यालय से जारी हुई है या किसी ने तैयार की है।
जीवाजी विश्वविद्यालय में अंकसूचियों की यह नई व्यवस्था, यूएमएस (यूनीवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत की जा रही है। कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने बताया कि नई व्यवस्था में हम अंकसूचियों में सुरक्षा के कई मानकों को अपना रहे हैं। मसलन अंकसूची बनाने के लिए पार्चड पेपर (विशेष रूप से तैयार कागज) का इस्तेमाल होगा। यह कागज लंबे समय तक खराब नहीं होता है। इसके अलावा सुरक्षा के विशेष मानक, पहचान चिन्ह रहेंगे। दो गुप्त पहचान चिन्ह भी रहेंगे, जिनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी।