लखनऊ ! शख्स वही, समर्थक वही, आवाज और तेवर वही, बस मंच और शब्द बदले हुए थे। हम बात कर रहे हैं बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की, जो तकरीबन दो महीने पहले तक बसपा सुप्रीमो मायावती की शान में कसीदे पढ़ते थकते नहीं थे, उन्हें दलित सम्मान की प्रतीक, दलितों की देवी, सामाजिक परिवर्तन की मसीहा और न जाने तारीफ के कितने पुल बांधते फिरते थे, आज सब कुछ उलटकर बोल रहे थे। बकौल स्वामी प्रसाद, मायावती भ्रष्टाचार की देवी हैं, वह दलितों की दुश्मन हैं, वह निर्लज्जता से धन उगाहती हैं, उनका धरम-ईमाम सब कुछ पैसा ही है आदि आदि। दिल्ली में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने के बाद आज यहां लखनऊ पहुंचने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना खूब स्वागत कराया। स्वागत करने वालों में भाजपाई कम, ‘नए भाजपाई’ (स्वामी प्रसाद के समर्थक) ज्यादा दिखे। मायावती के खिलाफ स्वामी के बोल बहुत तीखे थे।
बसपा में रहते हुए मायावती को बहनजी के अलावा किसी और नाम से न पुकारने वाले स्वामी ने आज अपने पूरे भाषण में एक बार भी उन्हें बहनजी नहीं कहा, सिर्फ मायावती कहा। जबकि स्वागत समारोह का मंच संचालन करने वाले नेता मायावती को बहनजी ही बोल रहे थे। अपने स्वागत समारोह में स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे अशोक मौर्य और बेटी संघमित्रा को लांच करते भी नजर आए क्योंकि दोनो ने पहले उन्हें मोटी माला पहनाई और फिर संबोधन दोनों का नाम प्रमुखता लिया। मंच पर मौजूदा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच शब्दों की टकराहट भी साफ तौर पर महसूस की गई।
नमो बुद्धाय उच्चारण के साथ शुरू किया संबोधन
भाजपा कार्यालय परिसर में स्वामी का भाषण सुन रहे भाजपाई ही टिप्पणी करने से बाज नहीं आ रहे थे। बात-बात पर कहते थे कि देखिए, जिस पार्टी को यह मनुवादी, सांप्रदायिक और न जाने क्या-क्या कहते थे, आज सब उल्टा ही बोल रहे हैं।
अच्छा है। भाजपा का मौर्य वोट बैंक बढ़ाएंगे और मायावती को डैमेज भी करेंगे। भाजपा का मकसद हल होगा। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा में आने से पहले अपने संगठन के जरिए खुद को मजबूत करने की जो योजना और कार्यक्रम बनाए थे, उन पर अमल करने के लिए उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की अनुमति लेकर आया हूं।
प्रदेश अध्यक्ष जी आपकी अनुमति चाहिए। अपना भाषण उन्होंने नमो बुद्धाय उच्चारण के साथ खत्म किया और जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य बोलने खड़े हुए तो भारत माता की जय के साथ ही भाजपा का पुराना नारा जयश्री राम लगवाया।
इस पर भी भाजपाई टिप्पणी करते दिखे। बोले-सुन लिया, यह नमो बुद्धाय का जवाब है। केशव प्रसाद मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी में आने पर स्वागत किया। औपचारिकता निभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यह भी टिप्पणी की कि पार्टी में शामिल होने की जो भी औपचारिकताएं हैं, स्वामी प्रसाद जी जब चाहें, पूरी कर लें। यानी उन्हें अहसास कराया कि आप अभी पार्टी के विधिवत सदस्य नहीं हैं। साथ ही जोड़ा, अब आपके जो भी कार्यक्रम होंगे पार्टी के कार्यक्रम होंगे। इस पर मौजूद भीड़ में फुसफुसाहट हुई कि यह बसपा नहीं, भाजपा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के जो भी कार्यक्रम होंगे, प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी संगठन के प्रभाव में होंगे, उनका अपना निजी प्रभाव उसमें वैसा नहीं झलकेगा, जैसा वह चाहते होंगे। बहरहाल, भाजपाइयों की इस तरह की टीका-टिप्पणियां नए किस्म के संकेत भी दे रही हैं।