इंदौर। स्वच्छता के मामले में देश भर में मिसाल पेश कर चुके इंदौर शहर को अब बेगर फ्री सिटी बनाने की तैयारी तेज हो गई है। इंदौर में पिछले दिनों बुजुर्ग भिखारियों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार के बाद हुई आलोचना से सबक लेकर नगर निगम अब अनोखी पहल कर रहा है। इसके तहत इंदौर को भिखारियों से मुक्त करने की तैयारी है। इसके लिए दीनबंधु योजना की शुरुआत की गई है। शहर के भिखारियों को रहने के लिए तमाम तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। देश में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है। स्वच्छता के मामले में देश में अपना परचम लहरा चुके इंदौर ने अब बेगर फ्री सिटी की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के लिए नगर निगम ने दीनबंधु अभियान की शुरुआत की है. इसके लिए शहर की सडक़, चौराहों और धार्मिक स्थलों के बाहर और बाजारों में घूम रहे भिखारियों को एक-एक कर एक जगह ठहराया जा रहा है। शहर के एक निजी मैरिज गार्डन में सभी भिक्षुकों का मेकओवर किया जा रहा है। नगर निगम ने इस काम में शहर की सामाजिक संस्थाओं की मदद भी ली है।
साफ-सफाई और इलाज
दीनबंधु अभियान के तहत भिक्षुकों को यहां लाकर सबसे पहले उनकी कटिंग और शेविंग की जा रही है। उसके बाद उन्हें नहला कर नये कपड़े पहनाए जा रहे हैं। बीमार भिक्षुकों का गार्डन परिसर में ही इलाज किया जा रहा है। वहां डॉक्टरों और नर्सों की टीम मौजूद है। गंभीर बीमारी वाले भिक्षुकों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है।
नये बिस्तर और सुविधाएं
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, शहर में ऐसे करीब 100 से 150 भिक्षुकों को एक-एक कर उनके पुनर्वास के लिए इंतजाम किए गए। उन्हें नये पलंग, तकिए, चादर और पहनने के लिए दो जोड़ी कपड़े दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें दोनों टाइम का नाश्ता और खाना दिया जा रहा है। सभी तरह की सुविधाएं उन्हें मुहैय्या कराई जा रही हैं। नगर निगम इन्हें 15 दिन तक इस पुनर्वास स्थल पर रखेगा और उसके बाद जो लोग सक्षम होंगे उन्हें रोजगार का इंतजाम कराया जाएगा और बाकी लोगों को वृद्धाश्रम में रखा जाएगा।
भिखारियों के दिन फिरे
अभियान में इंदौर शहर की कई सामाजिक संस्थाएं भी मदद कर रही हैं। उनका कहना है शहर ने स्वच्छता में तो खूब नाम कमाया है और अब इस मिशन के जरिये शहर देश भर में मानवता की भी नई मिसाल पेश करेगा। भिखारियों को पुनर्वास स्थल पर रामायण और धार्मिक सीरियल बड़ी स्क्रीन पर दिखाए जा रहे हैं, ताकि उनका मन परिवर्तित हो। उन्हें ऐसे संस्कार दिए जा रहे हैं कि वे भीख मांगना छोडक़र काम धंधे में लग जाएं। हालांकि, भिक्षुकों का कहना है कि वे काम करने के लिए तैयार हैं। बस उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध करा दिए जाएं।