नई दिल्ली ! महिला सुरक्षा के बहाने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल नजीब जंग, पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी को सुशासन के लिए बाधा (स्पीड बे्रकर) बताया। महिला सुरक्षा के नाम पर देश भर के किसी भी अधिकारी को तलब करने वाली शक्तियों वाले आयोग के गठन के लिए बुलाए गए सत्र में अरविंद केजरीवाल ने मोदी से कहा कि वह सहयोग दें तो एक एक ग्यारह हो सकते हैं। केजरीवाल ने छह माह में महिलाओं को महफूज कर दो या फिर दिल्ली पुलिस को हमें दे दो हम दिल्ली को देश का सर्वाधिक सुरक्षित शहर बना देंगे।
केजरीवाल ने दावा किया कि वह बसों में मार्शल लगवा चुके हैं और सीसीटीवी कैमरे जल्द लगने शुरू होंगे जबकि 31 मार्च तक झुग्गियों में शौचालय बन जाएंगे। उन्होने आंकड़े गिनवाते हुए कहा कि 14 हजार से अधिक मामलें दिल्ली में महिला अपराध के लंबित हैं और देश की 1.5 फीसदी आबादी वाली दिल्ली में पांच फीसद बलात्कार व अन्य अपराध कई गुना होते हैं। आयेाग की जरूरतों पर उन्होने कहा कि जो महिला पुलिस को शिकायत करे उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। विपक्ष पर हमलावार होते हुए उन्होने कहा कि वे संविधान की दुहाई देते हैं हम भ्रष्टïाचार दूर करें, महिला सुरक्षा देंगे ये कहते हैं संविधान के खिलाफ है। बिजली, पानी का बिल न देने पर जैसे जुर्माना वसूलने का अधिकार हमारे पास है ऐसे ही आईपीसी, सीआरपीसी का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का भी अधिकार राज्य सरकार को है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री को निरस्तकर्ता बताते हुए कहा कि देश में किसी भी राज्य के आदेश रद्द नहीं हुए लेकिन दिल्ली के 25 आदेश निरस्त कर दिए गए। उन्होने कहा कि जिंदगी सकरात्मकता से चलेगी। दिल्ली में सुशासन तेजी से चल रहा है लेकिन उपराज्यपाल, बस्सी, मीणा स्पीड ब्रेकर हैं जो इस गति को कम ही कर सकते हैं जबकि हम काम करते रहेंगे और वो परेशान करते रहें। उन्होने कहा कि सरकार जल्द ही जस्टिस वर्मा की सिफारिश पर विल ऑफ राइट्स विधेयक, राज्य मानवाधिकार आयोग, पुलिस शिकायत प्राधिकरण का गठन करेगी। क्योंकि लोक शिकायत आयोग कानून सम्मत नहीं है। उन्होने मोदी सरकार को चेताया कि बिहार में एक सर्वे में 61 फीसदी लोगों ने दिल्ली सरकार को सराहा इसलिए केंद्र हमें परेशान न करे नहीं तो वहां भी दिल्ली जैसा ही हश्र होगा। उन्होने पुलिस को विभाजित करते हुए कहा कि पुलिस के निचले स्तर के अधिकारी सही हैं लेकिन वरिष्ठ अधिकारी मोदी के एजेंट हैं। सुझाव दिया कि संकल्प में पुलिस के कल्याणार्थ योजनाओं की समीक्षा को भी जोड़ा जाए।
इससे पहले समाज कल्याण मंत्री संदीप कुमार ने दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा करने वाली एजेंसियों की उदासीनता को वजह बताते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से निपटने के लिए एजेंसियों की ओर से असमर्थता दिखाने के बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किए जाने का संकल्प रखा। हालांकि इस मसले पर भी सरकार के संविधान उल्लंघन का हवाला देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जांच आयोग का गठन का प्रस्ताव नियम 239 के तहत असंवैधानिक है और सरकार को अपनी सीमाओं में रहकर उसी प्रस्ताव को पास करना चाहिए जो उसके अधीन आते हो।
इसके बाद आप की भावना गौड़ ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया। राखी बिरला ने पुलिस आयुक्त बस्सी को चुनौती दी तो वहीं सोमनाथ भारती सहित कई विधायकों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एफआईआर, शिकायत पढक़र कहा कि कहीं पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की तो कहीं कार्रवाई इसलिए यह आयेाग जरूरी है। विधि मंत्री कपिल मिश्रा, परिवहन मंत्री गोपाल राय ने भी क्रांतिकारी भाषण देते हुए आयोग के गठन को सही ठहराया। इसके बाद सदन ने जहां ध्वनिमत से इस संकल्प को पारित कर दिया वहीं जिन मामलों का उल्लेख सिसौदिया ने किया था स्पीकर ने जांच के लिए उन्हें विशेषाधिकार हनन कमेटी को सौंप दिया।

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