भोपाल ! मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सोमवार को दो दिवसीय 23वीं अखिल भारतीय फोरेंसिक साइंस कांफ्रेंस शुरू हो गई है। इसमें मुख्य तौर पर जोर महिला अपराधों पर नियंत्रण में फोरेंसिक साइंस (विधि विज्ञान) के इस्तेमाल पर है।
क्ेंद्रीय गृह मंत्रालय के निदेशालय फोरेंसिक साइंस सर्विसेज द्वारा आयेाजित इस दो दिवसीय कांफ्रेंस का उदघाटन प्रदेश के गृह मंत्री बाबू लाल गौर ने किया। गौर ने महिलाओं के विरुद्घ अपराधों को केन्द्र में रखकर किया जा रहा फोरेंसिक साइंस कांफ्रेंस को सराहनीय पहल बताया।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के विरूद्घ होने वाले अपराधों पर नियंत्रण करने की प्रभावी पहल के साथ ही महिला हेल्प डेस्क योजना प्रत्येक पुलिस स्टेशन में प्रारंभ की गई है। महिला डेस्क पर महिला पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
गौर ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस डिलेवरी सिस्टम में फोरेंसिक साइंस (विधि विज्ञान) का बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक साइंस तकनीकों को उन्नत, कम समय में पूरा करने और इनकी लागत को कम करने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है।
गृह मंत्री ने कहा कि भौतिक साक्ष्य (फिजिकल एविडेंस) अपराधों की जान हैं। प्राचीनकाल से लेकर अब तक ऐसे अनेक प्रमाण हैं जहां भौतिक साक्ष्य के आधार पर महत्वपूर्ण फैसले हुए हैं। भारत सरकार द्वारा फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (विधि विज्ञान प्रयोगशाला) की स्थापना भोपाल में की जा रही है।
कार्यक्रम में गुजरात फोरेंसिक साइंस सेंटर के डायरेक्टर डा.जे.एम. व्यास ने महिलाओं पर होने वाले अपराधों पर फोरेंसिक साइंस की उपयोगिता को लेकर अपनी बात रखी। इसी तरह टीसीएस हैदाराबाद के पी. शास्त्री ने साइबर क्राइम और साइबर फोरेंसिंक की बदलती चुनौतियों का जिक्र किया। वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी रीना मित्रा ने अपराध अनुसंधान में फोरेंसिक अधिकारी के महत्व पर चर्चा की। साथ ही साक्ष्य के महत्व का ब्योरा दिया।
इस दो-दिवसीय कांफ्रेंस में पहले दिन राज्य के प्रमुख सचिव गृह बी़पी़ सिंह, पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह, नीदरलैंड के फोरेंसिक साइंस अकेडमी के डायरेक्टर विम वान गेलोवन, केन्द्रीय संयुक्त सचिव गृह वी़ वूमलुन मांग, चीफ फोरेंसिक साइंटिस्ट भारत सरकार क़े गंजू मौजूद थे।