न्यूयॉर्क सिटी. महिला हिंसा के खिलाफ शुरू हुए ‘मी-टू कैम्पेन’ को 2017 का टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दूसरे, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीसरे नंबर पर रहे। इनके अलावा सऊदी के शाह क्राउन प्रिंस सलमान भी दौड़ में मजबूती से टिके थे। वोटिंग राउंड में प्रिंस सलमान 24% वोट के साथ पहले नंबर पर थे, जबकि मी-टू 6% वोट के साथ दूसरे नंबर पर। लेकिन टाइम के संपादकों की राय शामिल होने के बाद मी-टू ने बाजी मार ली। महिला हिंसा और शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हुए दुनिया भर की महिलाओं ने मी-टू कैम्पेन शुरू किया था। कैम्पेन वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हुआ और करीब 3 करोड़ लोग इससे जुड़े। कैम्पेन के तहत आवाज उठाने वाली महिलाओं को ‘साइलेंस ब्रेकर’ का टाइटल दिया गया था। टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुने जाने की शुरुआत 1927 में हुई थी। शेष|पेज 8 पर

अब तक 91 पर्सन ऑफ द ईयर पुरस्कार दिए जा चुके हैं। मी-टू कैम्पेन के साथ 15वीं बार किसी ग्रुप या कैम्पेन को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया है। इसके अलावा हर बार किसी व्यक्ति विशेष को टाइम पर्सन चुना गया।

2006 में आया मी-टू शब्द, 2017 में आंदोलन बना

अमेरिका की सामाजिक कार्यकर्ता टराना बुर्के ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ 2006 में आवाज उठाई। उस वक्त बुर्के ने दुनिया भर की महिलाओं से अपील की कि अगर वो भी इसकी शिकार हैं, तो मी-टू शब्द के साथ अभिव्यक्ति करें। 2017 में एक बार फिर ये शब्द चर्चा में आया। हॉलीवुड अभिनेत्री एलीसा मिलानो ने खुलासा किया कि दिग्गज प्रोड्यूसर हार्वे वीन्सटीन ने उनका और तमाम अन्य अभिनेत्रियों का यौन उत्पीड़न किया। वीन्सटीन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। इस खुलासे से मी-टू कैम्पैन जिंदा हो गया। दुनिया भर की महिलाओं ने मी-टू शब्द के साथ अपने साथ हुए किसी भी दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाई। मी-टू कैम्पेन शुरू होने के 24 घंटे में ही फेसबुक पर इससे जुड़े 1.20 करोड़ पोस्ट और ट्विटर पर 50 लाख ट्वीट किए गए थे। टाइम के एक सर्वे में 82% महिलाओं ने माना था कि मी-टू की वजह से उन्हें शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत मिली।

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