औरंगाबाद। प्रवासी मजदूरों को अपनी जान गवांकर लॉकडाउन की कीमत चुकाना पड़ रही है। सुविधाओं के अभाव में इन लोगों ने जब अपने घरों के लिए पैदल सफर शुरू किया तो कइयों को मंजिल से पहले मौत मिली। 24 मार्च से 4 मई के बीच अब तक विभिन्न हादसों में 59 मजदूरों की जान जा चुकी है। ताजा घटनाक्रम औरंगाबाद का है, जहां ट्रेन की चपेट में आने से 17 लोगों की मौत हो गई। ये लोग रेल पटरी के सहारे जालना से भुसावल जा रहे थे। गुरुवार देर रात अंधेरे में पता नहीं चला और मालगाड़ी की चपेट में आ गए। पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।
लॉकडाउन के कारण सभी तरह का परिवहन बंद है, लेकिन फिर भी 24 मार्च से 4 मई के बीच सड़क हादसों में 137 लोगों की मौत देशभर में हुई है। सेव लाइफ फाउंडेशन नामक गैर सरकारी संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। 4 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, इनमें 42 प्रवासी मजदूर थे। औरंगाबाद के हादसे के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 59 हो गया है।
सेव लाइफ फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मजदूरों की मौत घर लौटते वक्त रास्ते में हुई। अधिकांश को तेज गति से आ रही कार या ट्रक ने कुचल दिया। मृतकों में अधिकांश उत्तरप्रदेश, बिहार और राजस्थान के हैं।
लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों का शिकार होने वालों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जरूरी सेवाओं में लगे थे। जैसे कोई जरूरी दवाएं लेकर जा रहा था तो कोई सब्जी और अनाज जैसी चीजें पहुंचा रहा था।
रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के पहले दो चरण में देशभर में 596 सड़क हादसे हुए। इनमें पंजाब में सबसे ज्यादा 42 लोगों की मौत हुई। वहीं केरल में 26, दिल्ली में 18, कर्नाटक में 12, तमिलनाडु में 7 और असम में 3 लोगों की जान गई।