नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में रोस्टर को लेकर 12 जनवरी को सार्वजनिक रूप से प्रेस कांफ्रेंस करने वाले चार वरिष्ठ जजों में से एक जस्टिस जे.चेल्मेश्वर ने दो टूक कहा कि महाभियोग हर समस्या का जवाब नहीं है। व्यवस्था को ठीक किया जाना चाहिए। जस्टिस चेल्मेश्वर एक कार्यक्रम में ‘लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका’ विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ के तौर पीठ गठित करने और मुकदमों को विभिन्न जजों को आवंटित करने में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की प्राथमिकता के सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि सीजेआई ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ होता है। उनके पास पीठ गठित करने की शक्ति होती है। लेकिन संवैधानिक प्रणाली में प्रत्येक शक्ति कुछ जिम्मेदारियों से बंधी होती है। शक्ति का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं किया जाता क्योंकि वह मिला हुआ है, बल्कि इसका मकसद लोक कल्याण होता है।

जब एक पत्रकार ने जस्टिस चेल्मेश्वर से पूछा कि क्या भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए पर्याप्त आधार है? तो उन्होंने पूछा कि यह सवाल क्यों पूछा जा रहा है। जस्टिस चेल्मेश्वर ने कहा, किसी दिन कोई मुझ पर महाभियोग चलाने का सवाल करेगा। मैं यह नहीं समझ पाता कि आखिर यह देश महाभियोग को लेकर इतना चिंतित क्यों हैं। जबकि तथ्य यह है कि हमने (जस्टिस रंजन गोगोई सहित) जस्टिस सी.एस कर्णन के मामले में लिखा था कि व्यवस्था को सही करने की जरूरत है।

जस्टिस चेल्मेश्वर ने कहा, महाभियोग हर सवाल या हर समस्या का हल नहीं है। कुछ दिन पहले मैंने सुना था कि कुछ लोग मेरे महाभियोग की मांग कर रहे हैं। मैं मामले में आपसे सहमत नहीं हूं। पर मैं आपके अधिकार को सुरक्षित रखना चाहता हूं। उनका यह बयान ए्रेसे समय आया है, जब कुछ राजनीतिक दलों ने सीजीआई के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने की पहल शुरू की है। बता दें कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आजतक किसी भी सीजेआई के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव नहीं लाया गया है।

सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पद नहीं लूंगा
जस्टिस चेल्मेश्वर ने स्पष्ट किया कि 22 जून को सेवानिवृत्त होने के बाद वह किसी भी सरकारी पद के इच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा, मैं सेवानिवृत्त होने के बाद सरकार की ओर से प्रस्तावित कोई पद नहीं लूंगा।

आलोचना से नहीं बच सकते
सार्वजनिक रूप से आलोचना करने से संस्था के कार्य पर दबाव पड़ने के सवाल पर जस्टिस चेल्मेश्वर ने कहा, कोई भी जो सार्वजनिक कार्यालय में आता है, वह आलोचना से नहीं बच सकता है। ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है, जो जजों को मीडिया से बातचीत करने से रोकता है।
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लड़ाई निजी नहीं
कोलेजियम की मौजूदा स्थिति पर जस्टिस चेल्मेश्वर ने कहा, पांच जज कोलेजियम का हिस्सा है। हम शुक्रवार शाम को मिले थे और पिछले हफ्ते भी चर्चा हुई थी। लेकिन मतभेद होने का अभिप्राय यह नहीं है कि हम एक दूसरे को मिलते नहीं है। यहां पर कोई भी निजी संपत्ति के लिए नहीं लड़ रहा है। मतभेद संस्थागत मुद्दों को लेकर है।

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