भोपाल ।​ मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इधर, सरकार के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस के विधायक सदन के भीतर ही धरने पर बैठक गए। विधानसभा का मानसून सत्र 31 जुलाई तक चलना था। विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। सदन में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक नीले रंग की एप्रिन पहनकर पहुंचे थे, जिस पर लिखा था, ‘खूनी व्यापमं घोटाले के दोषी शिवराज सिंह इस्तीफा दो’। कार्यवाही शुरू होते ही बसपा और कांग्रेस के विधायक नारेबाजी करने लगे। इसके बाद वे अध्यक्ष की आसंदी (वैल) तक पहुंच गए, जिसके कारण सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंकझोंक हुई। विधानसभा अध्यक्ष सीता शरण शर्मा ने हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे, जिसके बाद इसे 11.30 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। तीसरी बार कार्यवाही शुरू होने पर भी जब हंगामा नहीं थमा तो राज्य के संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार करते हुए विधानसभाध्यक्ष सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। विधानसभाध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने जमकर नारेबाजी की और सदन के भीतर धरने पर बैठ गए। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने सरकार और विधानसभाध्यक्ष पर मनमानी करने का आरोप लगाया।

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