भोपाल | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भले ही राष्ट्रीय चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया हो और देश के कोने-कोने में उनकी तस्वीरें होर्डिंग्स-पोस्टर में नजर आ रही हों, लेकिन मध्य प्रदेश भाजपा को शायद मोदी मंजूर नहीं हैं। लिहाजा राज्य में पार्टी की ओर से जारी अधिकृत विज्ञापनों, पोस्टरों और होर्डिग्स में मोदी का कहीं अता-पता नहीं है।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव से पहले जनआशीर्वाद यात्रा के जरिए चुनावी अभियान का शंखनाद कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा 50 दिनों की होगी और आठ हजार किलोमीटर का रास्ता तय करते हुए 220 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचेगी। इस यात्रा के बाबत पार्टी की ओर से राज्य के सभी अखबारों में सोमवार को विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं। लेकिन विज्ञापन में मोदी गायब हैं। अलबत्ता इन विज्ञापनों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अनंत कुमार व नरेंद्र सिंह तोमर की तस्वीरों के बीच चौहान नजर आ रहे हैं। मोदी को हाल ही में भाजपा की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उसके बाद से वह प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में शुमार हो गए है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने तो मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार तक कह दिया है। ऐसे में मोदी का राज्य इकाई के विज्ञापनों में गायब होना पार्टी के भीतर चल रही खटपट को उजागर कर जाता है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय विज्ञापनों में मोदी की अनुपस्थिति पर तर्क देते हैं कि जनआशीर्वाद यात्रा प्रदेश की है, लिहाजा इन विज्ञापनों में राज्य से जुड़े नेताओं के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी को स्थान दिया गया है। लेकिन अंदर की बात यह है कि मोदी और चौहान के बीच लम्बे समय से प्रतिद्वंद्विता बनी हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी चौहान को मोदी से बेहतर मुख्यमंत्री बता चुके हैं। मोदी विरोधी खेमा चौहान को विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश करता रहा है। इस बीच मोदी को बड़ी जिम्मेदारी मिल गई, मगर चौहान से नाता रखने वाले इसे अब तक नहीं स्वीकार पाए हैं। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दवाब में भले ही नेता एकता दिखा रहे हों, मगर हकीकत कुछ और है। पार्टी की यह एकता ठीक संतरे की फांकों जैसी है। इसे जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान लगे होर्डिंग-पोस्टर व अखबारी विज्ञापनों को देखकर समझा जा सकता है। राज्य इकाई के एक पदाधिकारी तो यहां तक कहते हैं कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं, और लोकसभा चुनाव के लिए बनाई गई प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं, लिहाजा उन्हें राज्य के प्रचार अभियान में जगह देना जरूरी नहीं है। बात साफ है कि मध्य प्रदेश भाजपा अब भी मोदी को राष्ट्रीय नेता मानने को तैयार नहीं है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का इस मुद्दे पर कहना है कि यह भाजपा के भीतर की गुटबाजी का परिणाम है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर अहंकारी होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा आगामी चुनाव में इसी गुटबाजी और अहंकार में स्वाहा हो जाएगी। बहरहाल, भाजपा भले ही मोदी को आगे रखकर आगामी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हो, मगर मध्य प्रदेश भाजपा को मोदी की तस्वीर से परहेज है। यह स्थिति बताती है कि भाजपा के भीतर मोदी को लेकर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।