भोपाल। भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित 176 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों में पार्टी ने ज्यादातर अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) वर्ग की सीटों पर बदलाव किया है। एससी वर्ग की 10 और एसटी की 11 सीटों पर नए चेहरे दिए गए हैं।
सामान्य और पिछड़ा वर्ग के 14 विधायकों का टिकट काटकर नए प्रत्याशियों को आजमाया गया है। सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए मौजूदा विधायकों और 2013 का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में से पार्टी ने कुल 61 नए चेहरे मैदान में उतारे हैं। देखा जाए तो कुल 35 सीटों में विधायकों को इस बार टिकट से वंचित कर दिया गया है। तीन मौजूदा विधायक गोपीलाल जाटव, जयसिंह मरावी और राज्यमंत्री ललिता यादव की सीट बदल दी गई है।
तीन मंत्री चुनाव नहीं लड़ेंगे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट के तीन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, माया सिंह और हर्ष सिंह इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लडेंगे। पार्टी ने शेजवार के बेटे मुदित शेजवार को सांची, हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह को रामपुर बघेलान से प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही मंत्री स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। ग्वालियर पूर्व से मंत्री माया सिंह ने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने की मंशा जाहिर की थी।
सांसद भी मैदान में
पार्टी ने जीत की संभावना वाले कुछ सांसदों पर भी दांव लगाया है। 2013 तक प्रदेश सरकार में मंत्री रहे नागेंद्र सिंह को एक बार फिर नागौद सीट से उतारा जा रहा है। फिलहाल वे खजुराहो सीट से सांसद हैं। देवास सांसद मनोहर ऊंटवाल को आगर विधानसभा क्षेत्र से फिर लड़ाया जा रहा है। सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर यादव को सुरखी से टिकट दिया गया है। माना जा रहा है कि अब सांसद यादव को पार्टी सागर से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाएगी।
पुराने बुजुर्ग नेताओं पर फिर दांव
भाजपा ने चुनावी राजनीति से दूर हो चुके चेहरों पर भी दांव लगाया है। अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे प्रेमनारायण ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है। पिछले चुनाव में उनके पुत्र उत्तम ठाकुर को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। 2008 में प्रेमनारायण भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते थे। इसी तरह पूर्व मंत्री और वयोवृद्व नेता जुगलकिशोर बागरी को भी भाजपा ने एक बार फिर मैदान में उतारा है। इसकी वजह ये है कि रैगांव अजा सीट से भाजपा पिछले दो बार से हार रही है।
परिजनों को मौका
पार्टी ने जहां प्रत्याशी बदले हैं वहां नए प्रत्याशी या तो उन्हीं के परिजन हैं या फिर उनकी सहमति से बनाए गए हैं। सबलगढ़ सीट से विधायक मेहरबान सिंह यादव का टिकट काटकर पुत्रवधू सरला रावत को प्रत्याश्ाी बनाया गया है। सुमावली विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार की सहमति से उनके भाई सतीश सिंह सिकरवार को ग्वालियर पूर्व से टिकट दी गई है। चंदला से आरडी प्रजापति के बदले बेटे राजेश प्रजापति, कोलारस के पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक के बेटे राजकुमार खटीक को करैरा से टिकट दी गई है।
बागी और भितरघात से डर गई भाजपा
पहली सूची में पार्टी मात्र 35 विधायकों की टिकट काट पाई और तीन विधायकों की सीटों में बदलाव किया गया। 25 पुराने प्रत्याशी भी बदले गए। माना जा रहा था कि सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए पार्टी काफी तादाद में टिकट बदलेगी लेकिन बगावत और भितरघात के डर से पार्टी ने सिर्फ उन सीटों पर बदलाव किया ,जहां मौजूदा विधायकों के बहुत ज्यादा वोटों से हारने की संभावना थी ।
इसकी वजह ये थी कि जिस तरह विधायक संजय शर्मा और अन्य नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, उससे पार्टी को भय था कि टिकट कटने वाले नेता ज्यादा संख्या में बागी होंगे तो चुनाव से पहले माहौल खराब होगा । भाजपा 2019 के चुनाव के चलते किसी तरह की जोखिम लेना नहीं चाहती है।
भारी पड़े शिवराज-तोमर
टिकट चयन में एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जोड़ी संगठन पर भारी पड़ी है। दोनों की सिफारिश को संगठन ने तवज्जो दी। एक तरह से माना जाए कि दोनों के द्वारा 2013 के चुनाव में जो तय किया गया था, संगठन ने वहीं इस चुनाव में भी लागू किया।
अनुसूचित जाति के 10 नए चेहरे
भाजपा ने अनुसूचित जाति की 11 सीटों पर बदलाव किया है। गोपीलाल जाटव की सीट बदलकर पार्टी ने उन्हें गुना से चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, मंत्री डॉ शेजवार का टिकट काटकर बेटे को प्रत्याशी बनाया है।