भोपाल। मप्र की कमलनाथ सरकार अपने वचन पत्र का एक बड़ा वायदा पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ गई है। मप्र में विधान परिषद के गठन की औपचारिक कवायद शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले विधान परिषद के गठन को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी। यह भी संभावना है कि फरवरी माह में विधानसभा सत्र में यह प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया जाए।

कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में विधान परिषद के गठन की बात कही है। गुरुवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस संबंध में संबंधित विभागों को तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश और उड़ीसा से विधान परिषद के गठन के संबंध में इसी सप्ताह रिपोर्ट बुला ली जाएगी। वित्त विभाग को इस संबंध में वित्तीय प्रावधान के आंकलन के निर्देश दे दिए गए हैं। वित्त विभाग और दोनों राज्यों की रिपोर्ट आते ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में रख दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सफलता पूर्वक चल रही है जबकि उड़ीसा में विधान परिषद के गठन की कवायद चल रही है।

मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पारित होते ही इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। जहां सदन में उपस्थित सदस्यों की संख्या के दो तिहाई बहुमत से इसे पारित कर लोकसभा और राज्यसभा भेजा जाएगा। लोकसभा और राज्यसभा में यह प्रस्ताव साधारण बहुमत से पारित कराना होगा। इसके बाद यह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही विधानपरिषद के गठन की प्रक्रिया पूरी होगी।

मप्र में विधानपरिषद में कुल 76 सदस्य होंगे। इनका कार्यकाल 6 वर्ष का होगा। परिषद के कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई सदस्य हर दो साल में चुने जाएंगे। विधान परिषद के सदस्य बनने की योग्यता में भारत का नागरिक होना, कम से कम तीस वर्ष की आयु होना, मानसिक रूप से स्वस्थ एवं दिवालिया न होना तथा जिस क्षेत्र से वे चुनाव लड़ रहे हैं वहां की मतदाता सूची में उनका नाम होना आवश्यक है। सामान समय में वह संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए।

कांग्रेस ने चुनाव से पहले अपने वचन पत्र में विधान परिषद के गठन का वायदा किया है। मुख्यमंत्री के निदेर्शानुसार इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

-डॉ. गोविंद सिंह, संसदीय कार्य मंत्री मप्र शासन

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