ग्वालियर। हमारे देश में मनुष्यों की संख्या तेजी से बढ रही है पर लोगों में मानवता घटती जा रही है। देश में महंगाई, गरीबी और भुखमरी में जीवन यापन करने वाले ऐसे भी प्रदेश हैं जहां वस्तुएं महंगी है और बच्चे सस्ते हैं। वर्तमान की भांति महंगाई बढती रही तो एक दिन पेपर में पढ लेना कि 25 पैसे जोडी और चावल दो रुपया कौडी में बिक रहा है। यह बात भिण्ड के ऋषभ सत्संग भवन में धर्मसभा में राष्ट्रसंत विहर्ष सागर महाराज ने कही।
संतश्री ने कहा कि ऐसा अक्सर छतीसगढ और उडीसा के जिलों में देखने को मिला है। वहां लोग अपने खर्च के लिए मासूम बच्चों को बेच देते है। ऐसी स्थिति मानवता दिनों दिन घटते जाने के कारण बन रही है। आज हम देखते हैं कि बेटी घर में रुपए कमाकर लाती है तो उससे यह नहीं पूछते कि वह रुपया कहां से आया है और पूरा परिवार बेटी की उस कमाई से खाता है। आज से 50 वर्ष पूर्व एक व्यक्ति कमाता था और घर के सभी लोग खाते थे। आज घर के सभी लोग कमा रहे है फिर भी इंसान दुःखी है। संत विहर्ष सागर ने कहा कि पहले मिट्टी की दीवारें हुआ करती थीं इाज कांच की दीवारें हो गई है। कांच की दीवारों में पति-पत्नी एक दूसरे को देख रहे है पर प्रेम नहीं दिख रहा है। घर में मॉं-बाप, भाई-बहिन हैं पर आपस में बोल चाल बंद है। क्योंकि मानवता नहीं रही। लए मनुष्य धर्म के मार्ग पर चले और सेतों के बताए रास्ते का अनुरसण कर आगे बढे तो अच्छी बुरी बातों का ज्ञान होता रहे।

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