ग्वालियर। राष्ट्रीय संत पूज्य चिन्मयानंद बापू ने कहा है कि जिस देश में हम रहते हैं हमें उस देश के प्रति समर्पित रहना चाहिए । उन्होने यह भी कहा कि जिस धर्म में हम हैं उस धर्म के प्रति हमें पूरी निष्ठा से समर्पित रहना चाहिए । राष्ट्रीय संत पूज्य चिन्मयानंद बापू कैला देवी महारानी एवं कुंवर बाबा मंदिर महलगांव सिटी सेंटर के मैदान पर चल रही श्री रामकथा के चौथे दिन की कथा का धर्मप्रेमी बंधुओं को रसपान करा रहे थे। पूज्य चिन्मयानंद बापू ने कहा कि प्रभु राम संपूर्ण मानव जीवन के लिए आदर्श हैं ,उनका चरित्र हम सभी अपने जीवन में उतारे प्रभु राम जैसा चरित्र धरती पर ना हुआ है और ना होगा । उन्होने आगे कहा कि सती के देह त्याग के बाद उनका जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ ,और उन्होंने नारद ऋषि के कहने पर भगवान शिव की कठिन साधना की जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हुए । पूज्य बापू ने कहा कि यदि हमें भगवान को प्राप्त करना है तो हमें अपनी श्रद्धा को बढ़ाना पड़ेगा और श्रद्धा भी हमारी ऐसी हो चाहे कैसी भी परिस्थिति आए दुनिया कुछ भी कहे पर तुम्हारा भरोसा कम ना हो और तुम्हारी श्रद्धा डगमगाए ना। उन्होने कहा कि भोलेनाथ ने कामदेव का नाश किया और धूमधाम से माता पार्वती और शिव का विवाह हुआ । पूज्य बापू ने कहा कि भगवान शिव का परिवार आज पूरे विश्व के लिए एक आदर्श है भगवान शिव का परिवार ही एक ऐसा परिवार है जिसमें परिवार का प्रत्येक पात्र पूजनीय है शिव-पार्वती , गणेश-कार्तिकेय और नाग पंचमी के दिन गले वाले नाग की भी पूजा होती है बापू ने कहा कि हम अपने परिवार को भी ऐसा बनाएं कि समाज में हमारे परिवार का प्रत्येक पात्र पूजनीय हो सम्मानित हो । पूज्य चिन्मयानंद बापू ने कहा कि शिव के परिवार में कुछ सदस्य एक दूसरे के विपरीत होते हुए भी एक दूसरे से प्रेम रखते हैं भगवान शिव के गले में नाग और कार्तिकेय का वाहन मोर भगवान शिव का वाहन नंदी बैल और माता पार्वती का वाहन शेर एक दूसरे के विपरीत हैं लेकिन फिर भी एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं बापू ने कहा हम भी अपने परिवार में ज्यादा से ज्यादा प्रेम से रहें सभी में आपस में सामंजस्य बना रहे बाद में कथा के माध्यम से राम जन्म की कथा सुनाते हुए राम जन्म के पांच कारण बताएं और धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया गया । इस अवसर पर पूरा पंडाल श्रोताओं से लबालब था । भागवत प्रेम परिवार समिति ने सभी श्रोताओं का हृदय से आभार व्यक्त किया और आगामी 5 दिनों में भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित होकर राम कथा का लाभ लेने का और कथा को और अच्छा बनाने के लिए आग्रह किया