भोपाल ! मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) गरीब मजूदरों के लिए वरदान है, इस योजना के माध्यम से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकती है।
राजधानी भोपाल में गुरुवार को मनरेगा-उपलब्धियां, चुनौतियां और अवसर विषय पर आयोजित कार्यशाला में चौहान ने कहा कि मनरेगा के क्रियान्वयन में यदि कोई कठिनाई है तो उसे दूर करना चाहिए। योजना में समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिये मध्यप्रदेश में अल्ट्रा बैंकिंग इकाई और मोबाइल बैंकिंग की व्यवस्था की गई है। तकनीकी अमले की कमी और कोष की अवरूद्धता की भी समस्या है।
उन्होंने सुझाव दिया कि बजट प्रस्तुत करने का समय वर्षा ऋतु में होना चाहिए ताकि सितम्बर माह में राशि मिल जाए तथा सितम्बर से जून माह तक विकास कार्य किए जा सकें। मार्च माह में बजट प्रस्तुत होने से काम करने के दो-तीन माह हिसाब-किताब में निकल जाते हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि को मनरेगा से जोड़ने पर इसका लाभ बढ जाएगा। मनरेगा का लक्ष्य हो कि श्रमिक मजदूरी पर निर्भर नहीं रहें और आत्मनिर्भर बनें। जब देश में मनरेगा की जरूरत नहीं रहेगी यही इसकी सबसे बड़ी सफलता होगी। उन्होंने कहा कि केवल कुछ लोगों का विकास, विकास नहीं है, यह समझना होगा। विकास का प्रकाश जब तक आम आदमी तक नहीं पहुंचे तब तक विकास बेमानी है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा का मध्यप्रदेश में सकारात्मक उपयोग किया गया है। झाबुआ, अलिराजपुर जैसे जनजातीय जिलों में गरीब आदिवासियों का जीवन स्तर कपिलधारा योजना में बने कुओं से सुधरा है। प्रदेश में इस तरह के ढाई लाख कुएं बनाए गए हैं। जलाभिषेक अभियान के तहत प्रदेश में साढे सात लाख जल संरचनाएं बनाई गई हैं, जिनसे जल स्तर बढा है और पर्यावरण में सुधार हुआ है।
कार्यशाला में उपस्थित केन्द्रीय योजना आयोग के सदस्य ड़ मिहिर शाह ने कहा कि मनरेगा के क्रियान्यन में मध्यप्रदेश ने जो मानक तय किए हैं उनका उल्लेख पूरे देश में किया जाता है। मनरेगा के क्रियान्वयन को और बेहतर बनाने के लिये और सुझाव देने के लिये केन्द्र द्वारा उनकी अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।
डा शाह ने माना कि मध्यप्रदेश में मनरेगा में अच्छा काम हुआ है, जहां-जहां पानी और उत्पादकता पर जोर दिया गया वहां श्रमिक किसान फिर से खेती करने लगा, यह बड़ी सफलता है। हम चाहते हैं कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधरें और काम की मांग कम होती जाए।
अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने मनरेगा से हुए लाभ का ब्योरा देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में मनरेगा के माध्यम से सिंचाई क्षमता बढाने में अच्छा कार्य हुआ है। प्रदेश में वित्तीय समावेशन की बेहतर व्यवस्था बनाई गई है। प्रदेश में पांच किलोमीटर की परिधि में अल्ट्रा बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक 1275 अल्ट्रा बैंकिंग इकाई शुरू की गई है और तीन हजार और इकाइयां खोली जा रही हैं।