भोपाल। प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सा महाविद्यालयों के कर्मचारियों की सेवाओं को अत्यावश्यक सेवा अधिनियम (एस्मा) घोषित किए जाने के बावजूद अपनी मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। सरकार ने कई जूनियर डॉक्टरों को निष्कासित कर दिया है मगर जूनियर डॉक्टर ने काम पर लौटने की बजाय सामूहिक इस्तीफे दिए हैं।

राज्य के जूनियर डॉक्टर अपना स्टायपेंड बढ़ाए जाने सहित अन्य सुविधाओं की मांग पर अड़े हुए है। उनकी हड़ताल का बुधवार को तीसरा दिन है। मंगलवार को भोपाल में जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत चली, मगर कोई नतीजा नहीं निकला।

प्रशासनिक अधिकारियों ने जब उन पर कार्रवाई की चेतावनी दी तो जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को सामूहिक इस्तीफे सौंप दिए।

राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन का कहना है कि एस्मा लागू किया जा चुका है, उसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफे दिए हैं, उस पर सरकार ही विचार करेगी। वहीं मरीजों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से वैकल्पिक इंतजाम किए जा रहे है।

जूनियर डॉक्टरों के अध्यक्ष सचेत सक्सेना का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग और सरकार उनकी जायज मांगों के पूरा नहीं कर रही है। कुछ जूनियर डॉक्टर को निष्कासित किया गया है। उनकी जब तक वापसी नहीं होती है, तब तक काम पर लौटने का सवाल ही नहीं है।

राज्य के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा के चिकित्सा महाविद्यालयों के अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले मरीजों को तरह तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रायसेन से भोपाल अपने परिजन का इलाज कराने आए संतोष मालवीय के अनुसार, “मरीजों का बुरा हाल है। अस्पताल में मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे है, कोई देखने वाला नहीं है। वहीं ऑपरेशन की तारीख बढ़ाई जा रही है।”

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के तीसरे दिन बुधवार को अस्पतालों में आ रहे मरीज परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। भोपाल में हमीदिया अस्पताल के बाहर हेल्प डेस्क बनाई गई है। मगर मरीजों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है। अधिकांश मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

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