भोपाल ! मध्य प्रदेश में बिजली उत्पादन प्रभावित होने के कारण बिजली वितरण कंपनियों द्वारा शुरू की गई बिजली कटौती से पूरे राज्य में हाहाकार मच गया है। प्रदर्शन और घेराव का दौर शुरू हो गया है, सरकार मांग और आपूर्ति के अंतर के चलते कटौती की बात मान रही है मगर घोषित कटौती की बात को नकार रही है। विद्युत उत्पादन इकाईयों को पर्याप्त कोयला नहीं मिल पा रहा है वहीं जलाशयों में पानी की कमी के चलते जल आधारित विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन प्रभावित हुआ है।
एम पी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध संचालक मनु श्रीवास्तव ने माना है कि उत्पादन प्रभावित हुआ है, हालात जल्दी सुधरेंगे। उत्पादन प्रभावित होने के बाद पिछले चार-पांच दिनों से कई इलाकों में अघोषित विद्युत कटौती का क्रम चल रहा था, मगर बिजली कंपनियों ने गुरुवार से बिजली कटौती का समय ही तय कर दिया। विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अपने अधिकारियों को जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक संभाग स्तर पर दो घंटे, जिला स्तर पर चार घंटे और तहसील मुख्यालय व गांव स्तर पर 10 घंटे की बिजली कटौती रहेगी। कई जिला व संभागीय मुख्यालय पर यह आदेश पहुंच चुके हैं और कटौती भी शुरू हो गई है। पहले से ही बिजली की अघोषित कटौती से परेशान लोगों का घोषित तौर पर कटौती शुरू किए जाने से गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। यही कारण है कि गुरुवार को राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए। ग्वालियर में किसानों ने प्रदर्शन किया और धरना दिया। सागर में तो सत्ताधारी दल भाजपा के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव व विधायक प्रदीप लारिया ने भी बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन किया। लारिया का कहना है कि आम लोगों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की बात की जाती है मगर बिजली के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। बिजली कटौती को लेकर सामने आई खबरों और प्रदर्शन ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं, यही कारण है कि सरकार के प्रवक्ता नरेात्तम मिश्रा को सामने आकर सफाई देना पड़ी है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से बिजली कटौती का कोई प्लान नहीं घोषित किया गया है। कुछ लोगों ने भ्रम फैलाया है, तहसील मुख्यालय पर जल्दी ही 20 घंटे बिजली मिलने लगेगी। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर जनता से झूठे वादे करने का आरोप लगाया है।
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