भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाढ़ पीड़ितों को राहत के नाम पर मिट्टी वाला गेहूं बांटे जाने के मामले पर कांग्रेस विधायकों ने बुधवार को विधानसभा के भीतर और बाहर जमकर हंगामा किया। वहीं इस मामले में एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है और एक को पद से हटाकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
राजधानी में आई बाढ़ से प्रभावित हुए परिवारों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा नागरिक आपूर्ति विभाग के जरिए 50-50 किलो गेहूं की बोरी बांटी जा रही है। प्रभावित परिवारों को जो गेहूं की बोरियां बांटी गई हैं, उनमें काफी मात्रा में मिट्टी निकली है। इस मामले को कांग्रेस के विधायक जयवर्धन सिंह ने उठाया। उन्होंने कहा कि जब राजधानी में यह हाल है तो ग्रामीण इलाके में क्या हो रहा होगा, इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है।
मिट्टी वाले गेहूं पर कांग्रेस की ओर से रामनिवास रावत, आरिफ अकील, जीतू पटवारी, मुकेश नायक ने अपनी बात रखी। साथ ही सरकार से मांग की कि इस मामले की जांच कराई जाए और रिपोर्ट इसी सत्र में सदन में रखी जाए।
कांग्रेस विधायक एक पैकेट में मिट्टी मिला गेहूं लेकर पहुंचे थे, कई विधायकों ने तो गेहूं व मिट्टी को हाथ में लेकर गर्भगृह (वैल) तक पहुंच गए। इतना ही नहीं इस मामले पर चर्चा न कराए जाने पर कांग्रेस विधायक विधानसभा से बहिर्गमन कर गए। सदन के बाहर भी कांग्रेस विधायकों ने जमकर नारेबाजी की।
इस चर्चा के दौरान हाल ही में उम्रदराज होने के कारण मंत्री पद से हटाए गए विधायक बाबूलाल गौर ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि सड़ा हुआ गेहूं बांटा जा रहा है।
सरकार की ओर से प्रवक्ता और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मिट्टी मिले गेहूं के बंटने के मामले की जांच कराई जाएगी, इसके लिए दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई किए जाने के साथ इसी सत्र में रिपोर्ट सदन में रखी जाएगी।
मिश्रा द्वारा मिट्टी वाला गेह्रूं किसानों से खरीदे जाने का बयान दिए जाने पर कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि यह गेहूं किसानों का नहीं बल्कि नागरिक आपूर्ति निगम ने बंटवाया है। रावत का आरोप था कि गेहूं में मिट्टी किसानों ने नहीं सरकार ने मिलाई है।
बाढ़ पीड़ितों को गेहूं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा राशन दुकानों से बांटा जा रहा है। निगम के अध्यक्ष डा. हितेश वाजपेयी ने मिट्टी मिला हुआ गेहूं बांटे जाने का मामला उजागर होने के बाद बुधवार को गोदामों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को मिट्टी मिला गेहूं बांटा जाना घोर लापरवाही है, इसके लिए जिम्मेदार केंद्र अधिकारी दिनेश चौरसिया को निलंबित कर दिया गया है और जिला प्रबंधक को पद से हटाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
ज्ञात हो कि बीते दिनों हुई भारी बारिश के चलते राजधानी की निचली बस्तियों में पानी भर गया था और लगभग 80 हजार की आबादी इस बाढ़ से प्रभावित हुई थी। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था, उसी क्रम में प्रभावित परिवारों को 50-50 किलो गेहूं और 5-5 लिटर कैरोसिन बांटा जा रहा है।
बाढ़ प्रभावित राजीव नगर में पीड़ितों को जो गेहूं की बोरियां दी गई, उन्हें खोलते ही उनके होश उड़ गए। पीड़ितों ने देखा कि गेहूं की बोरी में बड़ी मात्रा में मिट्टी मिली हुई है। यह मामला सामने आते ही मंगलवार शाम को कांग्रेस पार्षद मोनू सक्सेना और पूर्व विधायक पी. सी. शर्मा ने मौके पर पहुंचकर धरना दिया। मामले के तूल पकड़ने पर जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने अनुविभागीय अधिकारी कमल सोलंकी को मौके पर भेजा।
सोलंकी ने मौके पर पाया कि गेहूं की बोरी में मिट्टी मिली हुई है। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा में स्वीकार किया है कि कोटरा सुल्तानाबाद क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों को बांटी गई गेहूं की बोरी में काफी मात्रा में मिट्टी मिली है।