भोपाल । मध्य प्रदेश में कोरोना के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस भी तेजी से पैर पसार रहा है। दूसरी लहर में कोरोना पर ब्लैक फंगस भारी पड़ता नजर आ रहा है। इस बीमारी से फिलहाल कोई राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है, क्योंकि इसकी दवा बाजार में नहीं है। एक ओर मरीजों के परिजन दवा के लिए भटक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार इंतजाम भी पूरे होते नहीं दिखाई दे रहे। अभी तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है।
मप्र में कोरोना की रफ्तार तो कम हो रही है, पर उसके साथ नई मुसीबत ब्लैक फंगस आ गई है। यह मुसीबत लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 29 दिन में इसके 700 से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं, जबकि 31 मरीजों की अस्पतालों में मौत हो चुकी है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को फ्री इलाज किया जा रहा है। लेकिन इंजेक्शन की कमी बनी हुई है। यह कैंसर से भी घातक है। इसमें डेथ रेट अधिक है। खासकर फंगस दिमाग में पहुंच गया तो मरीज का बचना मुश्किल है। इलाज 15 दिन से डेढ़ महीने तक चलता है। इसके बाद ही फिर जांच करनी पड़ती है। तब पता चलेगा कि मरीज पूरी से ठीक हुआ या अभी उसे और इलाज की जरूरत है।
8 मेडिकल कॉलेज में 361 मरीज भर्ती
इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आए करीब 700 मरीज प्रदेश के अलग-अलग सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। सबसे ज्यादा मरीज इंदौर औऱ भोपाल में हैं। प्रदेश के 8 मेडिकल कॉलेज में 361 मरीज भर्ती हैं। जानकारी के मुताबिक, जीएमसी भोपाल में 90, एमएमजीसी इंदौर में 164, जीआरएमसी ग्वालियर में 24, एनएससीबी जबलपुर में 58, एसएसएमसी रीवा में 15, बीएमसी सागर में 7, जीएमसी खंडवा में 1 और सीआईएमएस छिंदवाड़ा में 2 मरीज भर्ती हैं।
इंजेक्शन की कमी, ऑपरेशन की पेंडेंसी बढ़ी
गौरतलब है कि राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में में 90 मरीजों के साथ बेड फुल हो चुका है। ब्लैक फंगस के मरीजों को 3 दिन से इंजेक्शन नहीं लग रहे हैं और ऑपरेशन की पेंडेंसी बढ़ रही है। इस अव्यवस्था की वजह से कई मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। हर दिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मरीजों की संख्या के मुताबले एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन पूरी नहीं पड़ पा रही।
7 दिन तक इंजेक्शन लगना जरूरी
जिस तरीके से बीते दिनों कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत थी, अब वैसे ही ब्लैक फंगस के इलाज और उसके संक्रमण रोकने के लिए लगाए जाने वाले एंफोटेरिसिन- बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन की कमी है। ब्लैक फंगस के मरीज को एक दिन में चार डोज लगते हैं। शुरुआत में 7 दिनों तक इंजेक्शन लगना जरूरी है। एक इंजेक्शन की कीमत 5 से 7 हजार रुपए है। लेकिन, यह इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध नहीं है।
मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इस मामले में मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। जानकारी अनुसार आयोग के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल में कोरोना से संक्रमित मरीजों में अनेक कारणों से ब्लैक फंगस फैल रहा है। शहर के सरकारी और निजी अस्पताल में मरीज भर्ती हैं। अब तक कई मरीजों की मौत भी हो चुकी है। सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि एंफोटेरिसिन- बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन भी नहीं मिल रहा। जानकारी मिली है कि इस वजह से मरीज अस्पतालों में तड़पते रहे। परिजन अस्पतालों और फार्मा कम्पनी वालों से पूछ-पूछकर परेशान होते रहे कि ये इंजेक्शन कब मिलेंगे, परन्तु कोई जवाब नहीं मिला। ये इंजेक्शन आउट आफ स्टॉक बताया गया। आयोग ने प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल से प्रदेश में ब्लैक फंगस पीडितों के लिए जरूरी दवाओं की समुचित व्यवस्था और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दस दिन में मांगी है।