जबलपुर. मप्र उच्च न्यायालय में सोमवार 26 अप्रैल को सुबह 9 बजे से दोपहर तक प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुनवाई हुई। इसमें चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डबल बेंच ने प्रदेश में ऑक्सीजन और रेमेडिसिवरी की किल्लत को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई।
ऑक्सीजन न रोक पाए कोई भी राज्य
चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डबल बेंच ने सोमवार को तीन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। सुनवाई में कहा गया कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोई भी ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न न कर सके। साथ ही हाईकोर्ट ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने उच्च न्यायालय को जानकारी दी कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश में एमपी लाई जा रही ऑक्सीजन रोकने से सागर में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
ऑक्सीजन की आपूर्ति केंद्र की जिम्मेदारी
इस मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि हर राज्य को ऑक्सीजन बिना रुके मिले यह केंद्र की जिम्मेदारी है। हिदायत दी है कि आगे से ऐसी घटनाएं न हों। हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी निर्देशों के पालन में अब तक उठाए गए कदम के बावत प्रगति रिपोर्ट 28 अप्रैल को अगली सुनवाई में पेश करने का आदेश राज्य व केंद्र सरकार को दिया है।
कोरोना इलाज के मामले में स्वत: संज्ञान
हाईकोर्ट द्वारा कोरोना इलाज मामले में स्वत: संज्ञान में लेकर जनहित याचिका की सुनवाई की जा रही है। इस मामले में कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ की ओर से आवेदन दायर कर कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी से जबलपुर सहित कई जिलों में मरीजों की मौत हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर का पीक मई के पहले सप्ताह में आने की आशंका है। इसके लिए अभी से पर्याप्त इंतजाम किए जाएं।
बार एसोसिएशन जबलपुर ने भी लगाई याचिका
हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन जबलपुर की ओर से लगाए गए तीसरी याचिका में कहा गया था कि बोकारो के स्टील प्लांट से एक ऑक्सीजन टैंकर सागर भेजा गया था, लेकिन बीच रास्ते से उस टैंकर को झांसी भेज दिया गया। सागर में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो रही है। इस मामले में हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन?
इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल को आदेश जारी कर ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा था, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की जा रही है। आवेदन में अनुरोध किया गया है कि ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की आपूर्ति की माॅनीटरिंग हाईकोर्ट द्वारा की जाए। इसके साथ ही कोरोना महामारी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी।