भोपाल। मध्य प्रदेश में आज दिनांक 9 जनवरी 2020 से धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 लागू हो गया है। मध्यप्रदेश के राजपत्र में इसका प्रकाशन हो गया है। आज दिनांक के बाद से मध्यप्रदेश में शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कानून को बनाए जाने में काफी रूचि ली है। मध्य प्रदेश के सभी कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों को नए कानून की कॉपी भेज दी गई है।

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मंजूरी के 48 घंटे बाद मध्यप्रदेश में ‘धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020’ का अध्यादेश लागू किया गया है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के बाद सरकार ने इस सबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है।पिछले साल 29 दिसंबर 2020 को मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश के ड्राफ्ट को अनुमोदन दिया था। 

अध्यादेश में प्रलोभन, बहलाकर, बलपूर्वक या धर्मांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से 10 साल तक की सजा और अधिकतम एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस अध्यादेश को पहले विधानसभा सत्र के जरिए लाने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से सत्र स्थगित होने के कारण अध्यादेश विधानसभा में पेश नहीं किया जा सका। हालांकि अब इसे 6 महीने के भीतर विधानसभा में पास कराना जरूरी होगा।

बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान. यह गैर जमानती अपराध होगा।धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है।आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।

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