उज्जैन। शिक्षक दिवस (5 सितंबर) की पूर्व संध्या पर शिक्षक दंपती से जुड़ी अच्छी खबर सामने आई। मप्र के इतिहास में पहली बार तीन भाई-बहनों को शिक्षक दंपति द्वारा गोद लिए जाने का मामला सामने आया है। दंपती का नाम पी. रमेश और गीता है, जिन्होंने अनाथ बच्चों की ‘मातृ छाया’ संस्था में सालभर से पल-बढ़ रहे पीयूष, माही और आर्या को गोद लेकर अपना अधूरा परिवार पूरा किया।
बच्चों को गोद में पाकर दंपती ने कहा कि ये बच्चे टीचर्स-डे का उपहार हैं और अब हमारी जिंदगी। कन्न्ड़ भाषी 39 वर्षीय पी. रमेश और 29 वर्षीय पत्नी गीता, दोनों कर्नाटक के उडुपी शहर के निवासी हैं। दोनों शासकीय स्कूल में शिक्षक हैं और उन्हें शादी के बाद से कोई बच्चा नहीं था। उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर मंगलवार को 5 साल की माही, 3 साल के पीयूष और 2 साल की आर्या को गोद लिया। तीनों को अपनी गोद में पाकर उनकी आंखें भर आईं।
उन्होंने कहा कि ये पल उनकी जिंदगी का सबसे अनमोल पल है, जिसमें वे बच्चों के मुख से पापा-मम्मी सुन पा रहे हैं। 9 साल से यह सुनने को कान तरस गए थे। तीनों को बेहतर जिंदगी देंगे और उनके हर सपने पूरे करेंगे। गुरुवार को फ्लाइट से वे बच्चों को उडुपी ले जाएंगे। जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी साबिर अहमद सिद्धिकी के अनुसार दत्तक ग्रहण अधिनियम के तहत अगर भाई-बहन है तो उन्हें एक ही दंपती को गोद दिया जा सकता है। इसी का पालन मातृछाया ने किया है।