भोपाल ! प्रदेश में गुमशुदा बच्चों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। खासतौर पर बच्चियों के गुम होने की घटनाएं बढ़ी हैं। पहले तो पुलिस इन गुमशुदा बच्चों को ढूंढने में इतनी सक्रिय नहीं थी, लेकिन वर्ष 2012 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद से पुलिस के रवैये में बदलाव आया है और वे इन मामलों को गंभीरता से लेने लगी है। फिर भी पुलिस की सारी कवायदों के बाद मार्च 2015 में ऑपरेशन स्माइल के तहत 710 गुमशुदा बच्चे ही बरामद किये गये। इनमें 516 बालिकाएं है, जबकि बालकों की संख्या मात्र 194। यह अलग बात है, कि फरवरी 2015 से यह आंकड़ा लगभग ड्योढा है। फरवरी में 490 गुमशुदा बच्चे बरामद किये गये थे, जिनमें 354 बालिकाएं और 136 बालक थे।
गौरतलब है, कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में बच्चियों के गायब होने की शिकायतों में आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ोत्तरी हुई है। इनमें से कु छ की बरामदगी तो ऑपरेशन स्माइल के तहत हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चियां आज भी लापता है। पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अभी भी लगभग साढ़े 3 हजार बच्चे गायब हैं, इनमें ढाई हजार से अधिक लड़कियां हैं। इनमें सबसे ज्यादा बच्चे इंदौर जिले से (262) हैं। जिसमें बच्चियों की संख्या 198 हैं। दूसरे स्थान पर जबलपुर है, जहां 227 बच्चों की बरामदगी आज तक नहीं हो पायी है। इनमें बच्चियों की संख्या 125 है। तीसरे स्थान पर सतना जिला है, जहां 175 बच्चे गायब हैं, इनमें 127 बच्चियॉं शामिल हैं चौथे स्थान पर छतरपुर है, जहां 153 गुमशुदा बच्चे के नाम थानों में दर्ज है और इनमें से 128 बच्चियॉं हैं। प्रदेश की राजधानी भोपाल से 135 बच्चे गायब हैं, (100 बच्चियॉं) हैं। इसी तरह छिंदवाड़ा जिले से 132, (101 बच्चियॉं), शहडोल में 124, (78 बच्चियॉं), रीवा में 104, (84 बच्चियॉं) मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले विदिशा से 83, (67 बच्चियॉं), धार में 108, (90 बच्चियॉं), खण्डवा में 74, (58 बच्चियॉं), होशंगाबाद में 71 (52 बच्चियॉं), बैतूल में 68 (60 बच्चियॉं), ग्वालियर में 81, (62 बच्चियॉं), सागर में 92, (73 बच्चियॉं) और रतलाम में 80, (67 बच्चियॉं) के नाम विभिन्न थानों में दर्ज हैं। जबकि कई जिलों में गुमशुदा बच्चों की संख्या काफी कम है जैसे- शाजापुर में 22, लेकिन यहां भी गुमशुदा बच्चियों की संख्या अधिक है यानी 22 में से 15 बच्चियां।
गुमशुदा बच्चियों के साथ क्या हो रहा होगा?
यह सीधा मानव तस्करी का मामला है। गुमशुदा बच्चियों के साथ क्या हो रहा है, यह सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। बाल सुरक्षा के लिए बनी जिम्मेदार संस्थाएं इस मामले में क्या रही है- इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है। यहां तक कि कई जिलों व विकास खण्डों में आज तक बाल कल्याण समिति बनी ही नहीं है। इस मामले में जिले के अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए, कि वह गुमशुदा बच्चों की बरामदगी के लिए क्या -क्या उपाय अपना रहे हैं।
आशा मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता
मार्च में बाल अपराध में लिप्त 192 को जेल भेजा
ऑपरेशन स्माइल के तहत पुलिस गुमशुदा बच्चों की बरामदगी के लिए विशेष प्रयास करती है, जिसके परिणाम कई बार बहुत अच्छे होते हैं। जैसे अभी मार्च में प्रदेश भर से हमने गुम हुए बच्चों में से 710 को बरामद कर उनके परिवार के सुपुर्द किया है। इसके अलावा इस अपराध में लिप्त 192 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और 133 मामले न्यायालय में प्रस्तुत किये गये।
जीपी सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) पुलिस मुख्यालय

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