भोपाल/नई दिल्ली. एससी-एसटी वर्ग को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण देने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि इन वर्गों के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए राज्यों को उनके पिछड़ेपन का डेटा जुटाने की जरूरत नहीं है। इस निर्णय के बाद भी मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति में लगी रोक अभी भी बरकरार रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह जरूर साफ हो गया है कि राज्य सरकार संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार एससी-एसटी के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण दे सकती हैं, लेकिन यह करने से पहले राज्य सरकार को यह देखना होगा कि प्रशासनिक क्षमताओं पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। इसका आकलन करने के बाद पदोन्नति में आरक्षण दिया जा सकेगा।
आरक्षण दिए जाने के लिए पिछड़ेपन के आंकड़े इकट्ठे करने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है। इस सिद्धांत के आधार पर मध्यप्रदेश की जो सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन है, उस पर फैसला आना है। तब तक प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण पर रोक रहेगी।
गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस 12 साल पुराने एम नागराज केस से जुड़े फैसले को प्रमोशन में आरक्षण देने में बाधा बता रही थीं। 2006 के फैसले में पांच जजों की बेंच ने कहा था कि एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देना अनिवार्य नहीं है। ऐसा करने के इच्छुक राज्यों के लिए कुछ शर्तें रखी गई थीं।
महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने कहा- कोर्ट से आग्रह करेंगे यथास्थिति को हटाते हुए पदोन्नति का रास्ता खोले
सवाल- क्या मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था बरकरार रहेगी?
पुरुषेंद्र कौरव- प्रमोशन में आरक्षण देने की संवैधानिक रूप से प्रदत्त व्यवस्था लागू रहेगी। इस पर कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है।
सवाल- क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति पर लगी रोक हट जाएगी ?
पुरुषेंद्र कौरव- नहीं, यथास्थिति बरकरार रहेगी। कर्मचारियों के प्रमोशन में यथास्थिति की कोर्ट की जो व्यवस्था है, उसे हटाए जाने के लिए हम फिर से अपील करेंगे।
सवाल- मध्यप्रदेश में अभी पदोन्नति पर रोक यथावत है। इसे हटाए जाने के लिए क्या कदम उठाएंगे ?
पुरुषेंद्र कौरव- पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की युगल बैंच में राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों की पदोन्नति पर लगी रोक हटाए जाने की अपील लंबित है। यह जरूर है आरक्षण से संबंधित आज के मामले में कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे हमे और ताकत मिली है। आगे हम कोर्ट से सुनवाई का आग्रह करेंगे, उम्मीद है कि जल्दी ही अपील पर फैसला आएगा।
सपाक्स-अजाक्स के आंदोलन का डर… फैसला आने से पहले सभी एसपी को किया इंटेलिजेंस ने अलर्ट किया : पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया। वहीं, पुलिस मुख्यालय की इंटेलिजेंस शाखा ने फैसले के दिन ही आनन-फानन में सभी पुलिस अधीक्षकों को अलर्ट जारी किया है।
जिसमें कहा गया है कि उक्त निर्णय को लेकर सपाक्स और अजाक्स संगठन द्वारा पक्ष में निर्णय न होने पर उग्र आंदोलन किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए संगठनों के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों पर नजर रखते हुए समुचित व्यवस्था करें, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े।
संविधान पीठ ने एम. नागराज केस का रिव्यू करने से मना किया है। साथ ही राज्यों के ऊपर जिम्मेदारी छोड़ी है। अब प्रमोशन में रिजर्वेशन में नियम बनाने का निर्णय राज्यों को ही लेना है। यह निर्णय सभी राज्यों के लिए होगा। जहां तक मप्र का मामला है तो इस मामले में उनकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। वह संभवत: अभी डिसाइड नहीं हुई। वैसे भी संविधान पीठ का पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही आगे की चीजें साफ होंगी। -केके लाहोटी, पूर्व कार्यवाहक चीफ जस्टिस, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट