केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि का लाभ प्रदेश के 75 लाख खातेधारक किसानों को मिलेगा। इसमें सीमांत किसान 48.33 लाख और लघु किसान 27.24 लाख हैं। इन्हें छह हजार रुपए सम्मान निधि के तौर पर सीधे खाते में मिलेंगे। हालांकि, केंद्र के इस कदम को कृषि के जानकार फौरी राहत करार दे रहे हैं। इनका मानना है कि यह स्थाई हल नहीं है। यदि किसानों को उपज का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वास्तव में दे दिया जाता है तो सरकारों को ऐसे कदम उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

कृषि विभाग के आंकड़ों के हिसाब से 75 लाख 57 हजार लघु और सीमांत खातेधारक किसान हैं। इसमें एक किसान के पास दो या इससे अधिक खाते भी हो सकते हैं। जब निधि की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर होगी, तभी वास्तविक लाभार्थियों की संख्या पता लग पाएगी। वैसे प्रदेश में लघु और सीमांत किसानों की संख्या कुल किसानों की 70 फीसदी से ज्यादा है। जोत लगातार घटने की वजह से यह संख्या बढ़ी है।

वहीं, पूर्व कृषि संचालक जीएस कौशल ने इस योजना को चुनावी साल में उठाया गया कदम करार दिया है। उन्होंने कहा कि छह हजार रुपए सालाना पांच एकड़ तक के किसान के लिए कोई बड़ी राशि नहीं है पर इससे राहत तो मिलेगी। वैसे देखा जाए तो किसान को इसकी जरूरत नहीं है। किसान को सरकार यदि एमएसपी का डेढ़ गुना वास्तव में दिला दे तो उन्हें किसी तरह की मदद की दरकार ही नहीं है।

यदि सरकारें वास्तव में किसान का भला करना चाहती हैं तो वे लालच देना छोड़कर ग्राम आधारित प्रोसेसिंग यूनिट लगवाए और उनके उत्पाद को बाजार मुहैया करा दें। उधर, भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि हमारी अपेक्षा कहीं अधिक थी। इस राशि से देश के 12 करोड़ किसानों की मदद तो होगी पर यह एक हजार रुपए माह होती तो ज्यादा बेहतर होता। पांच सौ रुपए महीना कम है। ब्याज प्रोत्साहन भी अच्छा कदम माना जाएगा।

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