भोपाल। मध्य प्रदेश में करीब 33 लाख कर्मचारियों की भविष्य निधि पेंशन पर तलवार लटकी हुई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पर 1 सितंबर 2014 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी भविष्य निधि पेंशन देने का नियम संशोधित करने का दबाव बढ़ रहा है। इस मुद्दे पर 3 दिन बाद आने वाले केरल हाई कोर्ट के निर्णय पर सभी की नजरें लगी हैं।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में निगम-मंडल, सहकारिता, बैंक, निजी क्षेत्र सहित मजदूर जिनका कर्मचारी भविष्य नि अंशदान कटता है, ऐसे लोगों की संख्या लगभग 33 लाख है। ईपीएफओ 1 सितंबर 2014 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को पेंशन सुविधा का लाभ देने से इंकार कर रहा है। बताया जाता है कि ईपीएफओ ने इस मुद्दे पर कर्मचारियों से विकल्प मांगा था, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया।

इधर, कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस संबंध में ईपीएफओ की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली। कर्मचारी पेंशन मुद्दे का सभी राज्यों में विरोध हो रहा है, केरल हाई कोर्ट में इस मामले पर 26 मार्च को फैसला सुनाया जाना है। निवृत्त कर्मचारी 1995 राष्ट्रीय समन्वय समिति के राष्ट्रीय उप महासचिव चंद्रशेखर परसाई ने बताया कि विकल्प न देने पर ईपीएफओ पेंशन देने से इंकार कर चुका है। इस मामले में संगठन की ओर से केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। फिलहाल केरल हाईकोर्ट से आने वाले निर्णय पर सबकी नजरें केंद्रित हैं।

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