भोपाल ! चिकित्सा शिक्षा को सुलभ बनाने की दृष्टि से राज्य सरकार अगले तीन सालों में कई शासकीय और निजी चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने जा रही है।
खास बात यह है, कि चिकित्सा शिक्षा के ये नए संस्थान प्रदेश के केवल राजयोगी शहरों तक ही सीमित नहीं होंगे। सरकार को सरकार को अब तक 8 चिकित्सा महाविद्यालयों की मंजूरी मिल चुकी है, इनमें से 3 रतलाम, शहडोल और विदिशा में स्थापित होंगे, वहीं दतिया, खण्डवा, गुना, शिवपुरी और छिंदवाड़ा में चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना की शुरुआती प्रक्रिया जारी है। ये महाविद्यालय पूरी तरह निजी हाथों में न होकर बी.ओ.टी. और एन. बी.टी. मोड पर आधारित होंगे, जिसमें किश्तों में राशि अदायगी की छूट होगी, चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अजय तिर्की ने यह भी बताया, कि निजी क्षेत्र को भी चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके तहत प्रदेश के 3 निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना में सरकार सहायता कर रही है। इनमें इंदौर का मार्डन मेडिकल कॉलेज, गुना का साक्षी मेडिकल कॉलेज और भोपाल का आर.के.डी.एफ. शामिल हैं। उन्होंने कहा, कि जबलपुर स्थित ग्लोबल मेडिकल कॉलेज और सुख सागर मेडिकल कॉलेज, ग्वालियर स्थित महाराणा प्रताप मेडिकल कॉलेज परियोजना में भी चिकित्सा शिक्षा विभाग मार्गदर्शन कर रहा है। निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए 20 एकड़ की भूमि अनिवार्य है ।
श्री तिर्की ने बताया, कि इसके साथ ही राज्य कैंसर संस्थान (जबलपुर ) के उन्नयन के लिए 120 करोड़ रुपये की स्वीकृति केंद्र सरकार से मिल चुकी है। इसके अलावा 45 -45 करोड़ रुपये ग्वालियर कैंसर सेंटर और विदिशा कैंसर सेंटर के लिए भी स्वीकृत हो चुकी है। इसके अलावा 150 करोड़ रुपये ग्वालियर, रीवा और जबलपुर चिकित्सा शिक्षा महाविद्यालय के नवीनीकरण के लिए भारत सरकार ने अनुमोदित किए हैं। इस राशि से इन महाविद्यालयों में ऑन्कोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, शल्य चिकित्सा, मातृत्व, हृदयरोग व चर्मरोग विभागों का उन्नयन और आधुनिकीकरण किया जाना है।
उल्लेखनीय है, कि पिछले तीन वर्षों में मध्यप्रदेश में चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या बढ़ी है। प्रदेश में जहां वर्ष 2002-03 में 9 कॉलेज थे, वर्ष 2012-13 तक बढ़कर 27 हो गए। इसमें शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या 5 से बढ़कर 6, शासकीय स्वशासी दंत चिकित्सा महाविद्यालयों एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या 1 से बढ़कर 6 और निजी दंत चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या 2 से बढ़कर 14 हुई है।

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