ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबलरेंज की 10 पुलिस चौकियों को जल्द ही नये थानों में परिवर्तित किया जायेगा। इसके साथ ही रेंज के विभिन्न जिलों में पुलिस बल पर्याप्त नहीं है, इसकी कमी भी दूर की जायेगी। चंबलरेंज में अन्य राज्यों के रेंज की तरह एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) की भी अब आवश्यकता महसूस की जा रही है।
उक्त जानकारी आज चंबलरेंज के आईजी डीपी गुप्ता ने दी। डीपी गुप्ता ने कहा कि चंबलरेंज के तीन जिले भिण्ड, मुरैना, और श्योपुर में अपेक्षाकृत पुलिसबल कम है, इसीलिये हमने अतिरिक्त बल की मांग की है। हालांकि हमारी रेंज की पुलिस ने पर्याप्त संख्या में बल न होने के बाद भी कानून व्यवस्था बनाये रखने में संतोषजनक भूमिका अदा की है। आईजी गुप्ता ने बताया कि अभी रेंज के भिण्ड, मुरैना श्योपुर व दतिया जिले में छह हजार पुलिस जवान हैं, और 90 थाने व 28 चौकियां हैं। कई थानों पर चौकियों में बल की कमी है, जिसे जल्दी ही दूर किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मुरैना, श्योपुर, भिण्ड व दतिया की 10 चौकियों को हम जल्दी ही अपग्रेड कर थानों में बदल रहे हैं। जल्दी ही इन थानों का कामकाज शुरू किया जायेगा। इसमें स्टेशन रोड भिण्ड और श्योपुर में सवाई माधौपुर से लगी पुलिस चौकी भी शामिल है जिन्हें थाने में बदला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रत्येक जिले में ऐसा कंट्रोल रूम बने जहां अन्य राज्यों में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) जैसे पुलिस बल आधा से एक सैकडा हर समय तैयार रहे जिससे जरूरत पडने पर तत्काल इस पुलिस बल को कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए भेजा जा सके।
आईजी गुप्ता ने बताया कि भिण्ड, मुरैना के बदमाश तो गुजरात तक जाकर वारदातों को अंजाम दे आते हैं। वहीं गुना के पारदी भी पूरे देश में जाकर वारदात करते हैं। ऐसे में सतर्कता की और जरूरत है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के साथ ही मैदानी अधिकारियों की भी बैठकें समय समय पर होती रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि बैठक में मिल बैठकर बात करने से जहां और अपेक्षित सहयोग अन्य अधिकारियों का मिलता है वहीं आत्मीयता होने से और ज्यादा सूचनाएं अपराधियों के विषय में प्राप्त होती हैं।
सायबर क्राइम के बारे में आईजी गुप्ता ने कहा कि सायबर क्राइम के लिए सभी जिलों में एक अलग से यूनिट बनाई जाये। आजकल सोशल मीडिया का युग बढ गया है ऐसे में आधारहीन खबर से लोगों में अफवाह फैलाकर अप्रिय स्थिति ना बने इसे रोकने के लिए यह यूनिट जरूरी है। साथ ही एक लैब भी सोशल मीडिया की मॉनीटरिंग के लिए बनाई जानी चाहिये ।

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