इंदौर। नई दिल्ली के चर्चित निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी देने की तारीख तय होने के बाद जेल प्रशासन ने फांसी की सजा प्राप्त कैदियों की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। इंदौर की सेंट्रल जेल में 11 ऐसे कैदी हैं, जिन्हें फांसी की सजा दी जा चुकी है। सेंट्रल जेल अधीक्षक राजेश बांगरे ने बताया कि इंदौर में आखिरी बार 5 अगस्त 1996 को कैदी उमाशंकर पांडे को फांसी हुई थी। वहीं प्रदेश में आखिरी बार 1997 में फांसी की सजा दी गई। 8 अगस्त 2014 को जबलपुर जेल में एक कैदी को फांसी की सजा दी जाना तय हुआ था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त की देर रात स्थगन दे दिया था। इसके अलावा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद सजा काट रहे कुछ कैदियों को दूसरी जेलों में भी शिफ्ट किया गया है।
इसमें चर्चित अश्लेषा हत्याकांड के आरोपी नेहा, राहुल और मनोज भी शामिल हैं। इसके बाद भी हमारे यहां 11 ऐसे कैदी सजा काट रहे हैं जिन्हें फांसी की सजा हो चुकी है। इन कैदियों का नियमानुसार विशेष ध्यान रखा जाता है। और समय समय पर इनकी काउंसलिंग भी की जाती है। आमतौर पर इनसे कोई काम नहीं लिया जाता है लेकिन अगर ये लोग मन से कुछ काम करना चाहें तो इन्हें काम दिया जाता है। वहीं इन लोगों पर 24 घंटे विशेष नजर रखी जाती है।
फांसी के प्रकरण खंडवा जिले के ग्राम सुरगांवजोशी में 30 जनवरी 2013 को नौ साल की बालिका से दुष्कर्म के बाद उसकी गला घोंटकर हत्या के मामले में अनोखीलाल पिता सीताराम निवासी डाबिया को खंडवा न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा था। इस मामले में 10 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए प्रकरण में फिर से सुनवाई के आदेश जारी किए हैं।
खरगोन में वर्ष 2009 में हुई 50 लाख की डकैती और हत्या के मामले में मुन्ना शूटर निवासी आजमगढ (उत्तरप्रदेश) को चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनाई। यह मामला अभी हाईकोर्ट में है।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में 5 मई 2016 को लूट और हत्या के दोषी कैलाश मालवीय को फांसी की सजा सुनाई गई थी। वह पूर्व राज्यमंत्री बाबूलाल मालवीय के घर लूट की नीयत से 27 अक्टूबर 2015 को घुसा और उनकी पत्नी चंद्रकांता की हत्या कर दी थी।
धार जिले के मनावर में दुष्कर्म के दो आरोपियों को अलग-अलग प्रकरणों में यह सजा सुनाई गई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को यथावत रखा है। फांसी देना शेष है।
मंदसौर में 8 वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो एक्ट की विशेष न्यायाधीश ने 21 अगस्त 2018 को दोनों आरोपी आसिफ और इरफान को फांसी की सजा सुनाई थी। फिलहाल दोनों उज्जैन सेंट्रल जेल में हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की है।