धार जिले के सुन्द्रेल ग्राम निवासी दो भाई रमेशचन्द्र वर्मा और कैलाशचन्द्र वर्मा सरकारी योजनाओं की मदद से आज जाने-माने मछली बीज व्यवसायी बन गये हैं। इन्होंने गाँव में अपनी 7 बीघा जमीन पर मछली विभाग के सहयोग से 2 लाख 18 हजार रुपये का लोन लेकर कच्चे फिश पॉण्ड बनाकर मछली बीज उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया था।
मछली पा लन विभाग की योजनाओं में मिले ऋण और अनुदान की मदद से वर्मा बंधु ने अपने व्यवसाय को 120 बीघा क्षेत्र तक बढ़ा लिया है। आज इनके पास 40 पक्की नर्सरियाँ और हेचरीज हैं। इनके द्वारा उत्पादित मछली बीज प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र के विभिन्न अंचलों में भी बिकते हैं। वर्मा बंधु के मछली बीज मत्स्य महासंघ के गाँधी सागर, बाण सागर, इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, कोलार, हलाली और बारना जलाशयों को मछलियों के फिंगरलिंग की आपूर्ति करते हैं।
वर्मा बंधु मछली के कॉमन कॉर्प, मेजर कॉर्प, उतला, रोहू, मृगल आदि मत्स्य बीज का उत्पादन कर रहे हैं। इनकी नर्सरीज और हेचरीज को कुएँ के अलावा सीधे नर्मदा नदी से पाइप लाइन बिछाकर पानी की पूर्ति की जा रही है। इन्होंने वर्ष 2017-18 में मछली के 8560 लाख स्पॉन और 2890 लाख फ्राई बीजों का उत्पादन कर प्रदेश में निजी मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में रिकार्ड स्थापित किया है। वर्मा बंधु ने मछली बीज उत्पादन व्यवसाय के साथ-साथ अब पशुपालन का व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। आज इनके पास 40 भैंस, गाय और बैल हैं।
राज्य शासन की मछली पालन और पशुपालन योजनाओं का भरपूर लाभ उठाकर वर्मा बंधु की सालाना आय 30 लाख रुपये तक पहुँच गई है। कभी कच्चे घर में रहकर मछली पालन का छोटा-मोटा व्यवसाय करने वाले इन भाइयों ने व्यवसाय की कमाई से ही आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित घर बनाया है। वर्मा बंधु की तरक्की राज्य शासन की योजनाओं की सार्थकता का सशक्त प्रमाण है।