मंदसौर। मध्यप्रदेश पुलिस के कारनामे किसी से छुपे नहीं है। यहां तो फरियादी को अपराधी बनाने में पुलिस कभी भूल नहीं करती। मध्यप्रदेश के मंदसौर की पुलिस का काम देशभक्ति जनसेवा का नहीं है। जो काम गुण्डे बदमाशों को करना चाहिए, वो काम आजकल पुलिस वाले कर रहे है। थानों में पदस्थ स्टाफ को थाना प्रभारी से लेकर अपने आला अफसर को पूरा खर्चा डठाना पडता है। जब गुण्डे बदमाश अपराध नहीं करते तो थाने की आय कम हो जाती है। ऐसे में पुलिस के अधिकारियों को खर्चा चला पाना संभव नहीं है। मंदसौर पुलिस के एक पुलिस उपनिरीक्षक ने 3 सिपाहियों को अपने साथ मिलाकर गिरोह बना लिया है। यह गिरोह पुलिस की वर्दी में ही अपहरण, लूट जैसी बारदातों को अंजाम देता है। अपहरण, लूट की बारदातों को अंजाम देते समय पुलिस प्राइवेट वाहन का उपयोग करते है। ऐसी वाहन जिस पर आरटीओ से जारी किया जाने वाला नम्बर भी नहीं मिलेगा। पुलिस वाले खुद ही गिरोह बनाकर लूटपाट करने लगें तब! मध्यप्रदेश के मंदसौर में कुछ ऐसा ही हुआ है। यदि आरोपों को सही मानें तो सब इंस्पेक्टर गोपाल गुणावद ने 3 आरक्षकों को मिलाकर एक गिरोह बना लिया। यह गिरोह लोगों का भरे बाजार से अपहरण करता और लूटने के बाद शहर के बाहर छोड़ देता। रतलाम के सर्राफा व्यापारी उमराव सिंह मूणत के साथ भी ऐसा ही किया। वारदात को वर्दी में अंजाम दिया गया तो ना जनता ने कोई आपत्ति उठाई और ना ही व्यापारी ने विरोध किया। सब समझे पुलिस ने हिरासत में लिया है, परंतु असल में वो अपहरण था।

रतलाम निवासी सर्राफा व्यापारी उमराव सिंह मूणत ने एसपी हितेश चौधरी से शिकायत की थी कि गुरुवार को रेलवे स्टेशन के बाहर भाटी भजिए वाले के पास से दो पुलिसकर्मी आए और उसे हिरासत में ले लिया फिर बाइक पर बिठाकर ले गए। पुलिस पेट्रोल पंप के पास पहुंचकर दोनों ने बाइक वहीं छोड़ दी और वहां से एक कार में बैठ गए। सर्राफा व्यापारी उमराव सिंह मूणत के अनुसार जब उसने पूछा कि उसे कहां ले जाया जा रहा है तो बताया गया कि इनकम टैक्स विभाग के रामटेकी कार्यालय चलना है लेकिन तीनों उसे राम टेकरी नहीं ले जाकर सीधे दलोदा की ओर ले गए। इसके बाद दोनों पुलिस वालों ने उसके पास मौजूद 111 ग्राम सोना ले लिया और दलोदा में उतर गए। तीसरे युवक ने सर्राफा व्यापारी उमराव सिंह मूणत को माननेखेड़ा टोल के पहले उतार दिया। इससे पहले उन्होंने मोाबाइल से सिम निकालकर फेंक दी थी ताकि किसी को सूचित ना कर पाऊं।

एसपी हितेश चौधरी सहित सभी अधिकारियों को विश्वास था कि यह कोई नया गिरोह एक्टिव हुआ है जो पुलिस की वर्दी में लूट कर रहा है परंतु जब गिरोह को पहचानने के लिए सीसीटीवी फुटेज देखे तो दोनों वर्दीधारी लुूटेरे कोतवाली थाने में पदस्थ युवराज सिंह और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर निकले। पूछताछ में पुलिस को धर्मेंद्र ने बताया है कि एसआई गोपाल गुणावद ने संदिग्ध व्यक्ति होने के कारण लाने की कहा था। इन्होंने घटनाक्रम भी बताया है। तीसरा नाम गौरव सिंह का भी आया है। जो लाइन में पदस्थ है। ये लोग व्यापारी को बिना नंबर के कार से ले गए थे।

मंदसौर एसपी हितेश चौधरी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में पुलिसकर्मी ही बारदात को अंजाम दे रहे है। मामले में सब इंस्पेक्टर गोपाल गुणावद के साथ आरक्षक गौरव सिंह, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और युवराज सिंह को निलंबित किया है। मामले की जांच की जा रही है। अभी एफआईआर अज्ञात के खिलाफ की गई है।

बारदात को अंजाम देने वाले आरक्षक गौरव सिंह, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और युवराज सिंह की पहचान हो चुकी है। तीनों आरक्षकों ने पुलिस अधीक्षक के सामने यह स्वीकार भी कर लिया है कि सब-इंस्पेक्टर गोपाल गुणावद ने पुलिस का गिरोह तैयार किया है। और काफी समय से यह लूट, अपहरण का काम चल रहा था। पुलिस अधीक्षक ने सभी को निलंबित भी कर दिया है। फिर मामला अज्ञात में दर्ज करना ये किसी की समझ में नहीं आ रहा है। निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों का कहना है कि अगर उनके खिलाफ बडी कार्यवाही की गई तो बडे अधिकारी भी नहीं बच पाऐंगे। उनके काले कारनामे भी उजागर होंगे।

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