ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले के गोहद के कांगे्रस विधायक माखनलाल जाटव हत्याकाण्ड में आरोपी बनाए गए प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य, का अग्रिम जमानत आवेदन कल खारिज हो गया है। भिण्ड जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता की अदालत ने हत्या के आरोपी आर्य की अग्रिम जमानत का आवेदन निरस्त किया है। मंत्री का 25 हजार रुपए का जमानती वारंट इस अदालत से जारी है। साथ ही हत्यारोपी आर्य को 10 नवंबर को विशेष अदालत में पेश होना है।
विशेष अदालत में हत्या के आरोपी मंत्री लाल सिंह आर्य की ओर से अग्रिम जमानत का आवेदन उनके वकील अवधेश सिंह कुशवाह ने 14 सितंबर को पेश किया था। जिस पर सुनवाई की तारीखें चलीं, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। कल विशेष न्यायाधीश के समक्ष हत्या के आरोपी मंत्री लाल सिंह के वकील ने अग्रिम जमानत के आवेदन पर बहस की। वकील ने कहा कि आरोपी भागेगा नहीं, पेशी की तारीख पर हाजिर होगा। अदालत ने कह दिया कि अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
10 मई 2017 को पहली बार मंत्री लाल सिंह आर्य को कोर्ट ने विधायक माखनलाल जाटव की हत्या का आरोपी बनाया था। सीआरपीसी की धारा 319 के तहत मृतक विधायक के पुत्र पूर्व विधायक रणवीर जाटव ने मंत्री लाल सिंह आर्य पर हत्या का आरोप लगाया था। भिण्ड की विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ आरोपी मंत्री लाल सिंह आर्य ग्वालियर हाईकोर्ट गए तो वहां भिण्ड कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। 19 मई 2017 को हाईकोर्ट ने कहा कि आर्य को सुनवाई का अवसर दें, फिर नए सिरे से आदेश पारित करें। तब हत्यारोपी मंत्री लाल सिंह आर्य भिण्ड की विशेष अदालत में न आकर सुप्रीम कोर्ट चले गए। 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी मंत्री लाल सिंह आर्य की याचिका निरस्त कर कहा कि मामला भिण्ड न्यायालय में ही चलेगा। भिण्ड न्यायालय के विशेष न्यायालय ने 24 अगस्त को मंत्री लाल सिंह आर्य को फिर से मुलजिम बना दिया। हत्यारोपी आर्य फिर ग्वालियर हाईकोर्ट गए। स्टे मांगा, जिसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया। अग्रिम जमानत का आवेदन भी निरस्त हो गया। पेशी 10 नवंबर को है।
इस मामले के अहम गवाह बनवारी जाटव के पूर्व वकील एडवोकेट रामप्रताप सिंह कुशवाह ने अदालत में आवेदन दिया कि बनवारी द्वारा दो शपथ पत्र प्रस्तुत किए गए हैं, जो आपस में विरोधाभासी हैं। क्योंकि पहले बनवारी ने फरियादी पक्ष रणवीर जाटव व आरोपी आर्य के बीच दो करोड़ रुपए की डील होने व उसे भी खरीदने की पेशकश किए जाने संबंधी शपथ पत्र अदालत में दिया था। बाद में दूसरा शपथ पत्र देकर बताया था कि वकील ने मुझसे कोरे कागज पर दस्तखत करा लिए थे। इसलिए एडवोकेट कुशवाह ने अदालत से दरख्वास्त की कि इस मामले में जांच कराकर विधि अनुसार कार्रवाई की जाए।

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