रायसेन। प्रीति रघुवंशी आत्महत्या मामले में बढ़ते दबाव के बीच मंत्री रामपाल सिंह के पुत्र गिरजेश मंगलवार सुबह प्रीति की अस्थियां उठाने उदयपुरा के मुक्तिधाम पहुंचे। करीब 60 राजपूतों के साथ वे वहां पहुंचे थे। पहली बार मंत्री के बेटे ने प्रीति के परिजनों की किसी मांग को स्वीकारा है। परिजन लगातार ये मांग कर रहे थे कि गिरजेश प्रीति को अपनी पत्नी स्वीकार करें और उसका अंतिम संस्कार करें। लेकिन वे अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंचे थे। रघुवंशी समाज के लगातार दबाव के चलते आखिरकार उन्होंने प्रीति से अपना रिश्ता स्वीकार कर लिया।

रामपाल की विधानसभा सीट पर रघुवंशी समाज का है काफी प्रभाव

रामपाल सिंह राजपूत की विधानसभा क्षेत्र के 84 गांव रघुवंशी बाहुल्य हैं और इनमें 52 गांव ऐसे हैं जिनमें इनकी ही पटेली है। क्षेत्र में लगभग 20 हजार मतदाता रघुवंशी होने के कारण यह बेहद निर्णायक साबित होते हैं। दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री रहे बरेली के पूर्व विधायक जसवंत सिंह रघुवंशी ‘बड़े भैया’ का विधानसभा के नए परिसीमन के बाद उनकी बरेली सीट टूटकर बनी सिलवानी से 2008 में कांग्रेस से टिकट फाइनल हुआ था लेकिन बी फार्म जमा नहीं कर पाने के कारण वे चुनाव मैदान से बाहर हो गए थे और मुख्य मुकाबला रामपाल सिंह और देवेंद्र पटेल के बीच हुआ था।

इस चुनाव में रघुवंशी समाज ने रामपाल का साथ नहीं दिया था जिसके चलते वे चुनाव हार गए थे। 2013 के चुनाव में बड़े भैया का टिकट नहीं मिलने और रामपाल द्वारा रघुवंशी समाज को पक्ष में कर लेने से वे चुनाव अच्छे अंतर से जीत गए थे। इस साल अंत मे होने वाले चुनाव में भी रामपाल को रघुवंशी समाज को साधे रखने की चिंता थी जिसके मद्देनजर उन्होंने जिला युवा मोर्चा की कमान भी पवन रघुवंशी को दिलवाकर रघुवंशी समाज मे अपनी पैठ मजबूत कर ली थी।

प्रीति रघुवंशी की आत्महत्या के बाद से रघुवंशी समाज सहित अन्य समाजों में भी भारी रोष मंत्री रामपाल सिंह को लेकर उपजा। जिले की राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस पूरे मामले का बहुत विपरीत असर रामपाल सिंह के राजनैतिक प्रोफाइल और विशेषकर विधानसभा में पड़ चुका है।

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