भोपाल। राजधानी भोपाल खुले में शौच से मुक्त यानी ODF डबल प्लस का सर्टिफिकेट मिल चुका है। इसका मतलब है कि अब इस शहर में खुले में कोई गंदगी नहीं करता। लेकिन शहर के पालतू कुत्ते शहर को गंदा कर रहे हैं।
दरअसल पालतू श्वान पालने वाले खुले में ही अपने पेट्स को शौच के लिए ले जा रहे हैं। लेकिन सफाई में नंबर एक शहर इंदौर की तर्ज पर भोपाल नगर निगम ने भी पालतू श्वान पालक द्वारा खुले में शौच कराने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू की। इसके अलावा निगम की टीम ने श्वान पालकों से ही गंदगी भी उठवाई।
महापौर आलोक शर्मा ने एक दिन पहले ही निगम अपर आयुक्त एमपी सिंह को निर्देश दिए थे कि खुले में गंदगी करने वाले श्वान के पालकों के खिलाफ स्पॉट फाइन की कार्रवाई शुरू करें।अपर आयुक्त सिंह ने इस संबंध में सभी एएचओ और दरोगाओं को कार्रवाई के निर्देश दिए। इसी कड़ी में निगम ने अमले ने भोपाल में शक्ति नगर और आसपास के इलाकों में कार्रवाई की। यहां निगम के अमले ने श्वान पालकों पर 500 रुपए का स्पॉट फाइन लगाया। इसके अलावा पालकों से ही गंदगी साफ कराई। निगम इस कार्रवाई को लेकर काफी गंभीरता बरत रहा है। निगम की ओर से लगाता इस बारे में लोगों से अपेक्षा की जा रही थी, लेकिन श्वान पालक इसे नजरअंदाज कर रहे थे। इसके बाद निगम ने स्पॉट फाइन की कार्रवाई शुरू की। इतना ही नहीं निगम ने चेतावनी भी दी कि निगम ऐसे पालकों की तस्वीर भी सार्वजनिक करेगा।
बता दें कि इससे पहले नगर निगम महज दर्जन भर मामलों में ही स्पॉट फाइन की कार्रवाई की है। जबकि मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा के तहत गंदगी करने पर डॉगी मालिक पर 50 से 500 रुपए तक का जुर्माना तय है।
डॉगी पालकों ने कहा निगम व्यवस्था करे
इधर श्वान पालकों की मांग है कि नगर निगम लायसेंस देता है तो डॉग टायलेट की भी व्यवस्था दी जाए। क्योंकि गंदगी सिर्फ डॉगी से नहीं बल्कि मवेशियों, सुअरों से भी होती है, लेकिन स्पॉट फाइन सिर्फ श्वान मालिकों पर क्यों? कोलार निवासी डॉ. हरेंद्र सोढ़ी बताते हैं कि वे पिछले 40 सालों से डॉगी पाले हुए हैं। विदेशों में लोग गंदगी उठाने के लिए एक विशेष तरह का यंत्र रखते हैं। जिसे डस्टबिन में डाल दिया जाता है। लेकिन अपने देश में लोग इसे नहीं अपनाते। इस नियम पर एकरूपता लाने की भी जरूरत है।
होशंगाबाद में नगर पालिका ने दो साल पहले ही डॉग टायलेट बनाया है। इसका उद्देश्य पालतू डॉगी से शहर में गंदगी न हो। इसी तरह की मांग भोपाल में की जा रही है। होशंगाबाद में डॉग टायलेट पर 2 लाख 40 हजार रुपए खर्च किए थे। यहां सफाई का जिम्मा नगर पालिका का अमले पर है। सर्किट हाउस रोड पर बने डॉग टायलेट को देश का पहला टॉयलेट बताया जा रहा है।
कुत्ते को खुले में शौच कराने से पेयजल स्त्रोतों में गंदगी पहुंचती है। गंदगी में कॉलीफार्म समेत कई बैक्टीरिया होते हैं। इस बैक्टीरिया से टायफाइड, उल्टी-दस्त, आंतों में संक्रमण व स्किन बीमारी हो सकती है- डॉ. एचएल साहू, डिप्टी डायरेक्टर, राज्य पशु चिकित्सालय