भोपाल : कोरोना से हो रही मौतों की वजह से श्मशान घाट में मृतकों के रिश्तेदारों की कतार की तस्वीरें अब आम हो गई हैं। वहीं एक ऐसा श्मशान घाट भी है, जो मृतकों के परिजनों को आसरा दे रहा है। मध्य प्रदेश के भोपाल में भदभदा विश्राम घाट उन तीमारदारों को अस्थायी पनाह दे रहा है, जो अपने प्रियजनों को इलाज के लिए लेकर तो शहर आए, लेकिन बीमारी में उन्हें खो दिया।
आमतौर पर लोग श्मशान घाट और कब्रिस्तान में रात में प्रवेश करने से भी डरते हैं। वहीं भोपाल का भदभदा विश्राम घाट कोविड-19 रोगियों के रिश्तेदारों को भोजन और बिस्तर भी मुहैया करा रहा है, जो यहां अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं। प्रतिदिन आधा दर्जन से अधिक लोग प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने के बाद श्मशान घाट में इस सुविधा का लाभ उठाते हैं। ऐसे कठिन समय में भोजन, पानी और बिस्तर की मदद के लिए वह लोग इस जगह की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को धन्यवाद देते हैं।
आसापास के जिलों के लोग अपने मरीजों को इलाज के लिए भोपाल लाते हैं। कई ऐसे कोविड-19 रोगी होते हैं जिनकी इलाज के दौरान जिनकी मौत हो जाती है। संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए ऐसे शवों को जिले से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं होती है। ऐसे में मृतक के परिजन अपने प्रियजनों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए भदभदा विश्राम घाट लेकर आते हैं। कोरोना से बड़ी संख्या में हो रही मौतों से अंतिम संस्कार के लिए लंबी कतार होने से परिजनों को अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
श्मशान के सचिव ममतेश शर्मा ने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद लोग विसर्जन की राख इकट्ठा करने के लिए चिता के ठंडे होने का इंतजार करते हैं। दूसरे जिलों से आए लोग रात में अपने घर की यात्रा नहीं कर सकते। इसलिए वह अगली सुबह चिता की राख इकट्ठा करते हैं।
उन्होंने बताया कि कोरोना कर्फ्यू की वजह से होटल और गेस्ट हाउस बंद है, ऐसे में उन्हें भोजन और ठहरने का आसरा मिलना मुश्किल होता है। ममतेश ने कहा कि कुछ अच्छे लोगों की मदद से हमने मृतक के परिजनों को खाना खिलाने और उनके रात में ठहरने की व्यवस्था श्मशान में की है। शर्मा के अनुसार, शुक्रवार को 60 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ, उनमें से 54 कोविड-19 रोगी थे। इनमें सेे 38 स्थानीय और 16 भोपाल के बाहर से आए थे।