भोपाल ! इंदौर मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर हातोद तहसील का पलिया हैदर गांव रहस्यमयी ढंग से अचानक 2014-15 में सरकारी भू- अभिलेख से गायब हो गया, जबकि वर्ष 2013-14 के पटवारी हल्का नं- 41 और खसरा नं. 677/1, 677/5, 677/9 और 678/1 के रूप में अभिलेख में दर्ज था। गांव का पता लगाने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र कुमार गुप्ता ने पहल की, तो पता चला 400 परिवारों वाला यह गांव सरकारी भू-अभिलेख से गायब है। गांव को एक बिल्डर ने खरीद लिया है और उसे एक टाउनशिप में विकसित कर रहा है। संस्कार कॉरिडोर के नाम से विकसित होने वाले इस टाउनशिप में ग्राहकों को 200 रुपये प्रति वर्गफीट के हिसाब से प्लाट बेंचे जा रहे हैं। जबकि इसके आस-पास की जमीन की की़मत ढाई हजार रुपये प्रति वर्गफीट है। बिल्डर के इस काम में कुछ सरकारी अधिकारी भी उनकी मदद कर रहे हैं। यह सब इंदौर पंजीयक कार्यालय के अधिकारी गाइडलाईन को ताक पर रखकर किया गया है, जिससे सरकार को लगभग 20 करोड़ राजस्व का नुकसान हुआ है। संस्कार कॉरिडोर की अब तक लगभग 550 प्लाट की रजिस्ट्रयां हो चुकी हैं, जिसमें उप पंजीयक ने रूपनारायण शर्मा ने गाइडलाईन का उल्लेख किये बिना सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुॅचाया है।
जब इसकी जानकारी पंजीयक महापंजीयक दीपाली रस्तोगी को लगी, तो उन्होंने आरोपी उप पंजीयक श्री शर्मा को नोटिस देकर जांच वरिष्ठ निबंधक इंदौर को सौंपी दी, लेकिन लगभग 20 करोड़ रुपये राजस्व नुकसान के बाद भी दागी अधिकारी के खिलाफ जांच धीमी गति से चली और उन्हें बचाने की कोशिशें चलती रहीं।
इस बीच आरटीआई कार्यकर्ता श्री गुप्ता ने पूरा मामला सबूत के साथ संभागायुक्त संजय दुबे के सामक्ष पेश कर दी। उन्होंने तत्काल इसकी जांच शुरू करवा दी। जांच में गड़बडिय़ों की ऐसी पोल खुली की अधिकारी भी हैरान रह गए। संस्कार कॉरिडोर ग्राम पालिया हैदर तहसील हातोद में आता है, इस तरह प्लाट की रजिस्ट्री सांवेर में होनी थी। बावजूद इसके उप पंजीयक रूपनारायण शर्मा ने इसकी रजिस्ट्रियां इंदौर में ही कर दी, जो उनके क्षेत्राधिकार में था ही नहीं। विभाग ने माना, कि यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी। दूसरी गलती मनमाने ढंग से अपनी गाइडलाईन बनाना थी। उन्होंने संबंधित उप पंजीयक के कारनामे को देखकर तत्काल उन्हें निलंबित करने का आदेश दिये। जिसकी प्रति मुख्यालय में वरिष्ठ पंजीयक यूएस वाजपेयी को भी दी गई।
श्री वाजपेई ने आरोपी की दो वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया और संभागायुक्त ने श्री शर्मा को निलंबित कर दिया। इस बीच श्री शर्मा अदालत चले गये। 10 माह तक जांच लम्बित रहने के दौरान श्री शर्मा को पदोन्नत कर पंजीयक बना दिया गया और उन्हें इंदौर से रिलीव कर सीहोर भेज दिया गया। उल्लेखनीय है, कि श्री शर्मा इन दिनों सीहोर में निबंधक के पद पर पदस्थ हैं। इस संबंध में वरिष्ठ पंजीयक श्री वाजपेई ने बताया, कि अदालत के आदेश के मुताबिक उन्हें पदोन्नति दी गई है।
आरटीआई कार्यकर्ता श्री गुप्ता ने बताया, कि उन्होंने इसकी शिकायत 14 बिन्दुओं के साथ महापंजीयक के कार्यालय को की है। आवेदन में उन्होंने दोबारा जांच कराने के लिए भी कहा है।