सुप्रीम कोर्ट में भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में 17 सितंबर को पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सुनवाई हुई। लंबी और तीखी बहस के बाद पांचों कार्यकर्ताओं की नजरबंदी की तारीख 19 सितंबर तक बढ़ा दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर पांचों आरोपियों के खिलाफ सुबूत नहीं मिले तो मुकदमा निरस्त कर दिया जाएगा। न्यायालय ने इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
अब जब तारीख दो दिनों तक बढ़ा दी गई है तब गिरफ्तार किए गए कथित ‘माओवादी समर्थकों’ को दो और दिन तक हाउस अरेस्ट रहना होगा। इससे पहले सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इनसे देश में शांति भंग का खतरा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पांचों आरोपियों के खिलाफ पुणे पुलिस की ओर से जुटाई गई सामग्री की जांच करने की बात कही।
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके पास इस मामले में पुख्ता सबूत हैं जिनके आधार पर गिरफ्तारी की गई है। बहस के बाद अगली तारीख देते हुए कोर्ट ने कहा कि 19 को होने वाली सुनवाई में सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 20 मिनट और पीड़ितों को 10 मिनट का समय दिया जाएगा।
नजरबंदी वाले मामले में सरकार ने कई फैसला नहीं सुनाया और अब यह माना जा रहा है कि बुधवार तक सभी कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट ही रहना होगा। मुख्य न्यायाधीश की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि हम सभी सबूतों को देखेंगे और फैसला लेंगे।