ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ प्रशासन और पुलिस बडी कार्रवाई करने जा रहा है। यह बडी कार्यवाही कब की जाएगी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है। प्रशासन अवैध कॉलोनोजाइरों के खिलाफ एनएसए और जिलाबदर करने की तैयारी कर रहा है। भिण्ड पुलिस अधीक्षक रूडोल्फ अल्वारेस ने पुलिस कंट्रोलरूम में भिण्ड के अपर कलेक्टर एके चांदिल के साथ जिलेभर के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस (एसडीओपी) और थाना प्रभारियों की बैठक ली। एसपी ने प्रत्येक थाना प्रभारी से पिछले महीनों अवैध कॉलोनी काटने वालों पर हुई एफआईआर में प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है।
एसपी ने मीटिंग में थाना प्रभारियों से कहा कि पिछले दिनों अवैध कॉलोनोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। उस मामले में अभी क्या प्रोग्रेस है। थाना प्रभारी ने कहा कि राजस्व की तरफ से अभी तक जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है। ऐसे में कार्रवाई आगे नहीं बढ पा रही है। पुलिस अधीक्षक ने अपर कलेक्टर चांदिल से कहा कि जो अधिकारी जानकारी नहीं दे रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही जानकारी भी जल्द दिलवाएं।
पुलिस अधीक्षक अल्वारेस ने थाना प्रभारियों से कहा कि अवैध कॉलोनी काटने वाले माफियाओं के खिलाफ जिलाबदर और एनएसए की कार्रवाई करें। इनका प्रस्ताव तैयार कर कार्यालय भेजें। जिससे कलेक्टर के माध्यम से उन पर कार्रवाई की जा सके। साथ ही ऐसे अधिकारी जिनके समय में कॉलोनी कटी थी, उन्होंने डायवर्सन और नामांतरण के समय मौके पर जाकर क्या किया था उनके खिलाफ भी कार्रवाई करें।
भिण्ड का जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा बिलकुल नहीं लगता है। जिन माफियाओं के खिलाफ थानों में एफआईआर दर्ज है उनके खिलाफ पुलिस अभी तक कोई कार्यवाही नहीं कर पाई है। सही बात तो ये है कि भिण्ड जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को जरा भी तालमेल नहीं है। भिण्ड कलेक्टर तो माफिया अभियान से काफी दूर है उन्होंने माफिया के खिलाफ कार्रवाई की कमान अपर कलेक्टर एके चांदिल को सौंप दी है।
अभी जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की बैठक हुई थी जिसमें राजस्व अधिकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस में जिन माफियाओं के खिलाफ एफआईआर कराई गई थी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। उधर पुलिस का कहना है कि राजस्व अमले ने पूरे कागजात नहीं दिए है और जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है इसलिए कार्रवाई नहीं की गई है। कुल मिलाकर बडे माफिया काफी प्रभावशाली है इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को लगता है माफिया के खिलाफ कार्रवाई की तो उनकी कुर्सी को खतरा हो सकता है।