ग्वालियर। चंबल संभाग का भिण्ड जिला कभी डकैतों के लिए कुख्यात रहा है, लेकिन अब प्राइमरी से लेकर उच्च स्तर तक की परीक्षाओं में नकल के लिए कुख्यात हो गया है। जीवाजी विशविद्यालय द्वारा कराई जा रही स्नातक परीक्षाओं में खुलेआम चल रही नकल पर अंकुश लगाने के लिए पहली बार जिला प्रशासन ने ठोस पहल की है। इसके बावजूद भी नकल पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
स्नातक परीक्षओं में नकल पर रोक लगाने के लिए कलेक्टर इलैया राजा टी ने उच्च शिक्षा विभाग के अमले के साथ ही राजस्व अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए है, कि किसी भी हालत में परीक्षाओं में नकल पर रोक लगाना है। इतना ही नहीं कलेक्टर स्वयं पुलिस अधीक्षक के साथ परीक्षाओं का निरीक्षण कर रहे है। जिलाधीश की सख्ती के बाद शहरी और ग्रामीण अंचल में संचालित महाविद्यालयों के परीक्षा केन्द्रों पर अब तक 300 सौ के करीबन परीक्षार्थियों के नकल प्रकरण बन चुके है। वहीं दो परीक्षा केन्द्र नाथूराम कॉलेज मेहगांव व भगत उदय सिंह कॉलेज गोरमी में सामूहिक नकल पाए जाने पर जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर विश्वविद्यालय ने निरस्त कर दिए है। और रामहर्षण कॉलेज, शिवा कॉलेज को परीक्षा केन्द्र और निरस्त कराने का प्रस्ताव भेजा गया है।
जिला प्रशासन जब स्नातक की परीक्षाओं में नकल पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है तो फरवरी-मार्च में आयोजित होने वाली कक्षा 10 व 12 की माध्यमिक शिक्षा मण्डल की परीक्षाओं में छात्रों और परीक्षा केन्द्रों की संख्या करीबन 4 गुना अधिक होगी।
शासकीय एमजीएस महाविद्यालय के प्राचार्य एवं परीक्षा कन्ट्रोल रुम प्रभारी केएस यादव ने बताया कि स्नातक परीक्षा में नकल रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। जहां सामूहिक नकल पाई जाती है उन परीक्षा केन्द्रों को निरस्त कराने की कार्यवाही की गई है।
सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह भदौरिया का कहना है कि भिण्ड में नकल को रोक पाना कोई बडी समस्या नहीं है। प्रशासन को बुनियादी शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कारगर उपाय करने चाहिए। प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों को गुणवता युक्त शिक्षा मिले और नकल रहित परीक्षाओं से मूल्याकंन किया जाए। जिले में प्राइमरी स्तर के स्कूल बहुत ही कम खुलते हैं। जो खुलते भी है तो कहीं उनमें शिक्षक पढाने नहीं जाते, तो कहीं बच्चे स्कूल नहीं आते है।
उन्होंने कहा कि भिण्ड जिले में शिक्षा माफिया शासन, प्रशासन पर हावी है। कोई अधिकारी अगर स्कूल संचालक के खिलाफ कार्यवाही करना भी चाहे तो उसके ऊपर इतना दबाव पडता है कि उसको नौकरी करना मुश्किल हो जाता है। यहां का चपरासी भी किसी न किसी दल के नेता के साथ जुडा होने से बिना काम के ही वेतन पाता है। भिण्ड में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव कराना आसान है पर परीक्षा करना बहुत ही कठिन कार्य है।