ग्वालियर। मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले की पुलिस ने उत्तर प्रदेश के छिपरा मऊ का रहने वाला एक युवक भिण्ड में सिविल जज बनकर रह रहा था। वह मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश लोगों से केसों को रफा-दफा करने के नाम से ठगी करता था। भिण्ड पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर लिया। युवक के पास से एक गाड़ी मिली जिस पर भी वो न्यायाधीश लिखा कर घूमता था। भिण्ड पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
बीते दिनों भिण्ड पुलिस मुख्यालय डीएसपी मोतीलाल कुशवाहा को मोबाइल पर किसी ने अज्ञात व्यक्ति ने संपर्क कर सूचना दी। छिपरा मऊ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला दीपक भदौरिया स्वयं को सिविल जज बताता है। इन दिनों यह युवक भिण्ड में किराए के मकान में रह रहा है। पुलिस ने इस युवक की तलाश शुरू कर दी। युवक बायपास रोड स्थित स्वतंत्र नगर में किराए के मकान में रह रहा था। युवक ने अपनी गाड़ी पर न्यायाधीश लिखा रखा था।
पुलिस को दीपक के न्यायाधीश बनकर रहने की पुष्टि हुई तो पुलिस ने पहले तीन साल पुराने सिविल न्यायाधीश के लिए सिलेक्शन हुई सूची की पड़ताल की। इसमें दीपक का कोई नाम नहीं था। इस नाम को कोई भी जज भिण्ड जिले में पदस्थ नहीं था। पुलिस ने जब दीपक को पकड़ा और पूछताछ की तो पहले युवक ने अंग्रेजी भाषा में पुलिस से जमकर बहस की फिर हकीकत बयां करते देर नहीं लगी। इस दौरान दीपक ने फर्जी जज बनने की वजह बताई।
दीपक ने पुलिस को बताया कि मैंने वकालत की डिग्री मध्यप्रदेश के जबलपुर से की। उत्तरप्रदेश के कानपुर में रहकर सिविल जज की पढ़ाई की। मेरी मां बीमार रहती है। पिता ने मेरी पढ़ाई पर खूब खर्च किया। इसके बाद भी मेरा सिलेक्शन नहीं हो सका। जब मैंने देखा कि मेरे नाम का ही एक युवक सिविल जज बना तो मैंने परिवार को खुश रखने के लिए स्वयं का सिलेक्शन होना बता दिया था। मेरी शादी दस साल पहले हुई थी मेरे दो बच्चे भी है जो कि माता- पिता के साथ रहते हैं। मैं अकेला भिण्ड में रहता हूं।
माता-पिता, पत्नी व नाते-रिश्तेदारों से एक बार जीवन में झूठ बोल दिया तब से लगातार झूठ बोलता आ रहा हूं। यही झूठ को मेंटेनेंस करने के लिए गाड़ी पर न्यायाधीश लिखा रखा था। दीपक के पास से पुलिस को सिविल जज के विजिटिंग कार्ड भी मिले। मोबाइल में एक एप्लीकेशन भी मिला जिससे उसने सीनियर्स को अवकाश के लिए लिखा था। युवक का कहना है कि वो भिण्ड में एक साल से रह रहा है। दीपक ने पुलिस को यह भी बताया कि यह झूठ से समाज में खूब इज्जत मिलती थी। वो टोल प्लाजा पर भी बिना टैक्स दिए आता जाता था।